Hindi, asked by MDNadeem7934, 6 days ago

Activity on santosh hi dhan hai

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Answered by anshdeepsinghisking
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Explanation:

संतोष रूपी धन के सामने अन्य सभी प्रकार के धन धूल के समान व्यर्थ हैं। मनुष्य के पास अनेक प्रकार के धन हो सकते हैं-सुख-सुविधाओं के रूप में, भोग-विलास की सामग्रियों के रूप में या पैसे के रूप में, परंतु इनमें से किसी भी प्रकार का धन मनुष्य को सच्चा सुख नहीं देता। इन सबको, विशेष रूप से धन को प्राप्त करने पर तृप्ति नहीं होती, बल्कि अधिकाधिक प्राप्त करने की लालसा उत्पन्न होती है। कामना कभी कम नहीं होती। चंचल मन कभी भी संतुष्ट नहीं होता। ईर्ष्या, लालसा और कामना की भावनाओं के कारण मनुष्य सदा असंतुष्ट रहता है और नैतिक मूल्यों को ताक पर रखकर गलत काम करने में भी नहीं हिचकिचाता।

परंतु जब मनुष्य संतोष रूपी धन प्राप्त कर लेता है, तब उसे अन्य किसी प्रकार के धन की कामना नहीं रहती। जब संतोष आ जाता है, तो सारी इच्छाएँ और लोभ स्वयं समाप्त हो जाते हैं। संतोष आ जाने से ऐसी आनंदमयी दशा हो जाती है, जिसमें न ईर्ष्या होती है न द्वेष, न असंतोष होता है न अशांति, न लोभ होता है न लालच, जीवन बस सुखी, संतुष्ट, चिंतारहित हो आनंद से भरपूर हो जाता है। संतोष रूपी धन प्राप्त हो जाने पर अन्य सभी प्रकार के धन निरर्थक प्रतीत होते हैं।

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