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यदि पर्वत बातें करते तो मनुष्य से क्या कहते?
मनुष्य और पर्वत में संवाद लेखन
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Answer:
पर्वतारोहण या पहाड़ चढ़ना शब्द का आशय उस खेल, शौक़ अथवा पेशे से है जिसमें पर्वतों पर चढ़ाई, स्कीइंग अथवा सुदूर भ्रमण सम्मिलित हैं। पर्वतारोहण की शुरुआत सदा से अविजित पर्वत शिखरों पर विजय पाने की महत्वाकांक्षा के कारण हुई थी और समय के साथ इसकी 3 विशेषज्ञता वाली शाखाएं बन कर उभरीं हैं: चट्टानों पर चढ़ने की कला, बर्फ से ढके पर्वतों पर चढ़ने की कला और स्कीइंग की कला. तीनों में सुरक्षित बने रहने के लिए अनुभव, शारीरिक क्षमता व तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है।[1] पर्वतारोहण एक खेल, शौक या पेशा है जिसमें पर्वतों पर, चलना, लंबी पदयात्रा, पिट्ठूलदाई और आरोहण शामिल है। यूआईएए (UIAA) या यूनियन इंटरनेशनेल डेस एसोसिएशन्स डी'एल्पिनिसमे (Union Internationale des Associations d'Alpinisme), पर्वतारोहण तथा आरोहण के लिए विश्व भर में मान्य संस्था है जो पर्वतों तक जाने के रास्तों, चिकित्सा समस्यायों, बर्फ पर चढ़ाई, नवयुवक आरोही तथा पर्वत व आरोही की सुरक्षा से जुड़े अहम विषयों पर काम करती है।[2]
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Concept:
जब दो या दो से अधिक लोगों के बीच होने वाले वार्तालाप को लिखा जाता है तब वह संवाद लेखन कहलाता है। संवाद लेखन काल्पनिक भी हो सकता है और किसी वार्ता को ज्यों का त्यों लिखकर भी ।
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मनुष्य और पर्वत में संवाद लेखन
Given:
यदि पर्वत बातें करते तो मनुष्य से क्या कहते?
मनुष्य और पर्वत में संवाद लेखन
Explanation:
जब दो या दो से अधिक लोगों के बीच होने वाले वार्तालाप को लिखा जाता है तब वह संवाद लेखन कहलाता है। संवाद लेखन काल्पनिक भी हो सकता है और किसी वार्ता को ज्यों का त्यों लिखकर भी ।
भाषा, बोलने वाले के अनुसार थोड़ी-थोड़ी भिन्न होती है। उदाहरण के रूप में एक अध्यापक की भाषा छात्र की अपेक्षा ज्यादा संतुलित और सारगर्भित (अर्थपूर्ण) होगी। एक पुलिस अधिकारी की भाषा और अपराधी की भाषा में काफी अन्तर होगा। इसी तरह दो मित्रों या महिलाओं की भाषा कुछ भिन्न प्रकार की होगी। दो व्यक्ति, जो एक-दूसरे के शत्रु हैं की भाषा अलग होगी। कहने का तात्पर्य यह है कि संवाद-लेखन में पात्रों के लिंग, उम्र, कार्य, स्थिति का ध्यान रखना चाहिए।
यदि पर्वत बोल पाते तो हमसे क्या कहते. संवाद रूप में लिखिये
पर्वत: हे मनुष्य, तुम सुधार जाओ ?
मैं : क्या हुआ, पर्वत भाई, आप ऐसे क्यों बोल रहे हो?
पर्वत: तुम लोग प्रकृति के साथ बहुत खिलवाड़ कर रहे हो?
मैं: आप सत्य ही बोल रहे हो, हम लोग यह पर्वत, पहाड़ घूमने आते है और बहुत गलत करते है।
पर्वत: आज के समय में तुम सब ने अपने लाभ के लिए सब संतुलन बिगाड़ दिया है, अब गर्मी और सर्दी का पता नहीं चलता।
मैं : पर्वत भाई आप बहुत ऊँचे हो, और बहुत सुन्दर और आज हमारी वजह से आप संकट में आ गए हो।
पर्वत: कह रहा हूँ, अभी मान जाओ नहीं बहुत महंगा पड़ेगा।
मैं : पर्वत भाई ठीक है
#SPJ2