Hindi, asked by AadyaSinha43591, 7 months ago

Adam Smith ke arthik Vikas Siddhant ki alochnatmak vyakhya kijiye

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Answered by DevanshuKale
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Answer in Hindi.

Explanation:

एडम स्मिथ की आर्थिक विकास सिद्धांत |

एडम स्मिथ का महत्वपूर्ण विश्लेषणात्मक अध्ययन An Enquiry into the Nature and Causes of the Wealth of Nations (1976 ) मुख्यत: आर्थिक विकास की समस्याओं पर आधारित रहा । यद्यपि आर्थिक विचारों के इतिहास में एडम स्मिथ के मूल्य एवं वितरण सिद्धांत ने सापेक्षिक रुप से अधिक ध्यान आकर्षित किये परन्तु उनकी मूल भूत चिता वृद्धि व विकास के प्रावैगिक प्रश्नों से थी ।

स्मिथ ने आर्थिक विकास हेतु उत्तरदायी घटकों को निर्धारित करने का प्रयास किया व साथ ही उन नीतिगत उपायों को भी सामने रखा जिनमें तीव्र वृद्धि के लिए वातावरण बनाया जाना संभव होता । वस्तुतः उन्होंनें आंतरिक रूप से संगत प्रावैगिक मॉडल प्रस्तुत किया ।

एडम स्मिथ का मत था कि समाज में स्वतन्त्र एवं संचालित प्रतियोगिता की दशा उपस्थित होती है । जिसमें कोई सरकारी था अन्य व्यवधान नहीं होना चाहिए । एडम स्मिथ प्राकृतिक नियमों की सार्वभौमिकता से प्रभावित थे ।

उनके अनुसार- प्रकृति द्वारा बनाए नियमों के पालन से न्याय एवं आर्थिक विकास की प्राप्ति होती है तथा व्यक्ति के हित भी सुरक्षित रहते है । यदि ऐसा नहीं होता तो आर्थिक विकास में बाधाओं का अनुभव होगा । एडम स्मिथ ने विकास का मूल स्रोत मनुष्य की प्रेरणाशक्ति बतलाया ।

एडम स्मिथ द्वारा वर्णित विश्लेषण को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है:

i. उत्पादन फलन:

एडम स्मिथ ने उत्पादन के तीन घटकों पूँजी के स्टाक (K) श्रमशक्ति (L) एवं भूमि (N) को महत्वपूर्ण माना । भूमि से अभिप्राय ज्ञात एवं आर्थिक रूप से उपयोगी साधनों की पूर्ति से था ।

स्मिथ के अनुसार- उत्पादन के साधनों में श्रम का विशेष महत्व है जो देश के वार्षिक उपभोग हेतु विविध वस्तु व सेवाओं का उत्पादन करता है । उत्पादन के साधनों में पूंजी के विषय में स्मिथ ने स्पष्ट किया कि पूँजी मितव्ययिता से बढ़ती है तथा फिजूलखर्ची एवं बुरे आचरण से घटती है । पूँजी संचय में परिश्रय से अधिक महत्वपूर्ण मितव्ययिता है ।

पूँजी के स्टाक, श्रम शवित एवं भूमि को समाहित करता उत्पादन फलन (Y=f (K,L,N)) है । स्मिथ ने घटती हुई सीमान्त उत्पादकता की मान्यता नहीं ली । अत: उनका उत्पादन फलन पैमाने के बढ़ते हुए नियम से सम्बन्धित रहा ।

स्मिथ का विचार था कि समय के साथ-साथ बाजार के आकार में वृद्धि होती है तथा आन्तरिक व वाह्य मितव्ययिताएँ प्राप्त होती हैं । इससे उत्पादन की वास्तविक लागत कम होती है ।

ii. उत्पादन की तकनीक – श्रम विभाजन:

एडम स्मिथ के अनुसार- उत्पादन में वृद्धि श्रम विभाजन द्वारा होती है । श्रम विभाजन से श्रम की उत्पादक शक्तियों में सुधार होता है । उत्पादकता में वृद्धि तब संभव है तब (i) प्रत्येक श्रमिक की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है । (ii) वस्तुओं के उत्पादन में लगा समय घटता है तथा (iii) श्रम बचत मशीनों की खोज संभव होती है । उत्पाद तकनीकी में सुधार के साथ-साथ बढ़ता हुआ श्रम विभाजन उत्पादन में पैमाने की मितव्ययिताओं को संभव बनाता है ।

एडम स्मिथ ने स्पष्ट किया कि श्रम विभाजन मात्र तकनीकी दृश्यताओं पर ही निर्भर करता है । श्रम विभाजन केवल तब लाभप्रद होगा जब उत्पादित होने वाली वस्तुओं के लिए समुचित बाजार हो ।

बाजार का आकार मुख्यत: उपलब्ध पूंजी स्टाक तथा घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में लगाए गए संस्थागत संरक्षण पर निर्भर करता है । संक्षेप में- बढ़ते हुए श्रम विभाजन के लिए आवश्यक है कि बाजार के आकार पर प्रतिबंध लगे तथा पूंजी का संचय संभव हो ।

iii. पूंजी संचय की प्रक्रिया:

आर्थिक विकास की प्रक्रिया में एडम स्मिथ बचत एवं पूंजी संचय को आवश्यकता मानते थे । स्मिथ ने आर्थिक विकास की समस्या को देश में व्यक्तियों की बचत व विनियोग की कुशलता के द्वारा अभिव्यक्त किया ।

विनियोग की दर का निर्धारण बचत के द्वारा होता है तथा बचतों का पूर्ण विनियोग किया जाता है समस्त बचतें पूंजीगत विनियोगों या भूमि से प्राप्त लगान के द्वारा प्राप्त होती है । अतः पूंजीपति एवं भूमिपति बचत करने में कुशल होते हैं । श्रमिक वर्ग बचत करने में अक्षम होते है । उनका यह विश्वास मजदूरी के लौह नियम पर आधारित है ।

प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री मजदूरी कोष के अस्तित्व पर विश्वास करते थे । उनका विचार था कि मजदूरी मात्र श्रमिकों के जीवन निर्वाह हेतु प्रदान की जानी चाहिए । यदि किसी समय कुल मजदूरी कोष, जीवन निर्वाह स्तर से अधिक हों तब श्रम शक्ति बढ़ेगी व रोजगार के लिए प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी, ऐसे में मजदूरी जीवन निर्वाह स्तर के बराबर आ जाएगी ।

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