Hindi, asked by saurav733, 1 year ago

Adbhut Ras ka Sanchari bhav​

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Answered by samta13
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अद्भुत रस ‘विस्मयस्य सम्यक्समृद्धिरद्भुत: सर्वेन्द्रियाणां ताटस्थ्यं या’। [1] अर्थात् विस्मय की सम्यक समृद्धि अथवा सम्पूर्ण इन्द्रियों की तटस्थता अदभुत रस है। कहने का अभिप्राय यह है कि जब किसी रचना में विस्मय 'स्थायी भाव' इस प्रकार पूर्णतया प्रस्फुट हो कि सम्पूर्ण इन्द्रियाँ उससे अभिभावित होकर निश्चेष्ट बन जाएँ, तब वहाँ अद्भुत रस की निष्पत्ति होती है।
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