adhamik aur parmanit shabdon mein upsarg aur parteyee ko alag karoo. plz do it fast noww
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adh prathyay amikk upasarg
Explanation:
उपसर्ग, यानी वह लघुतम अव्यय शब्दांश जिनका खुद में तो कोई अर्थ नहीं होता, पर यह दूसरे शब्दों के आगे जुड़कर उनको नया अर्थ देने की क्षमता रखते हैं। इसे यदि आप आसानी से समझना चाहते हैं तो इसे देखिए –
उपसर्ग + अन्य शब्द = नया शब्द
हिंदी बोलते समय हम संस्कृत, हिंदी और उर्दू – तीनों भाषाओं के उपसर्गों का प्रयोग करते हैं। तीनों के ही अपने-अपने शब्द और उपसर्ग होते हैं। इस लेख में हम तीनों ही प्रकार के उपसर्गों के बारे में आपको बताएंगे जिससे आपको लिखित और मौखिक हिंदी में प्रयुक्त होने वाले सभी उपसर्गों के बारे में पूरी-पूरी जानकारी हो।
संस्कृत के उपसर्ग
संस्कृत में 22 उपसर्ग होते हैं। यह हमेशा मूल शब्द के आगे लगते हैं और एक से दो अक्षर लम्बे ही होते हैं। संधि के बाद जो नया शब्द बनता है, वह मूल शब्द में कुछ-न-कुछ विशिष्ट जोड़ देता है।
यह हैं संस्कृत के वह 22 उपसर्ग, उनके अर्थ और उदाहरण –
उपसर्ग – प्र
अर्थ/प्रयोग – आधिक्य
उदाहरण – प्रसारित, प्रमाण, प्रकोप, प्रभाव
उपसर्ग – पर/परा
अर्थ/प्रयोग – अन्य की/के
उदाहरण – पराधीन, पराजय, परतंत्र
उपसर्ग – अप
अर्थ/प्रयोग – बुरा, नकारात्मक, विरुद्ध
उदाहरण – अपशब्द, अपमान, अपव्यय, अपकार
उपसर्ग – सम्
अर्थ/प्रयोग – समान, बराबर, पूर्णतया
उदाहरण – समकक्ष, समान, संस्कृत, संगीत, संयम
उपसर्ग – अनु
अर्थ/प्रयोग – पीछे-पीछे, बाद [क्रम में], प्रमाणीकरण
उदाहरण – अनुवाद, अनुक्रमांक, अनुक्रमणिका, अनुमोदन, अनुज
उपसर्ग – अव
अर्थ/प्रयोग – बुरा, खराब, रिक्त, विरोध
उदाहरण – अवगुण, अवसाद, अवयवीकरण
उपसर्ग – निस्
अर्थ/प्रयोग – विलोमाभाषी [अभाव का बोध कराने वाला शब्द]
उदाहरण – निष्काम, निष्क्रिय, निश्चल
उपसर्ग – निर्
अर्थ/प्रयोग – बिना
उदाहरण – निर्धन, निराशा
उपसर्ग – दुस्
अर्थ/प्रयोग – बुरा, कठिन
उदाहरण – दुष्प्रभाव, दुष्कृत्य
उपसर्ग – दुर्
अर्थ/प्रयोग – बुरा, कठिन
उदाहरण – दुर्दांत, दुर्गम
उपसर्ग – वि
अर्थ/प्रयोग – कमी, अभाव
उदाहरण – विकार, विसंगति, विफल
उपसर्ग – आ
अर्थ/प्रयोग – पूरी तरह, उल्टा; अंतहीनता का आभास कराने के लिए भी ‘आ’ का