Hindi, asked by Rabie8398, 1 year ago

Adhunik gramin sanskriti aur prachin granin sanskriti mein tulna

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Answered by aman2868
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Answered by jayathakur3939
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आधुनिक युग में ग्रामीण संस्कृति  और प्राचीन ग्रामीण संस्कृति

बदलते जमाने के साथ लोगों का रहन सहन भी बदलता जा रहा है। बात तो यह है कि यह बदलाव सिर्फ शहरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि आधुनिक युग में ग्रामीण संस्कृति व वेशभूषा भी बदल गई है।  

शहरी चकाचौंध से प्रभावित ग्रामीणों में भी उठने बैठने से लेकर खान पान तक की अदा बदल गई है। शहर की बदलती तस्वीर को देख ग्रामीणों ने भी अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी पुरानी परंपराओं को छोड़ दिया है। मंहगाई के इस दौर में देहातों के लोग रोजी रोटी के लिए महानगरों से प्रगाढ़ सम्बंध बना चुके हैं यही कारण है कि लोग प्राचीन ग्रामीण संस्कृति खान पान रहन सहन को छोड़ शहरी सभ्यता का अनुसरण तेजी से करने लगे हैं।

प्राचीन समय में गांव में पहले नाते रिश्तेदारों के पहुंचने पर शुद्ध दूध, दही, शर्बत, व दाने से स्वागत किया जाता था। जिसका सेवन कर शरीर की थकावट दूर होती थी तथा लोग आत्मतृप्त भी हो जाते थे और अब आधुनिक युग में अतिथियों के पहुंचने पर गुड, दूध, दही के स्थान पर बिस्कुट व चाय मेहमान नवाजी में पेश किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह है। कहा कि बदलते परिवेश का प्रभाव गांवों में पांव पसार चुका है।

आधुनिक समय में ग्रामीण क्षेत्रों  के लोग अब दूध की पौष्टिकता दही व गन्ने के रस का स्वाद भूलते जा रहे हैं। नई उम्र के लोग जहां दूध दही शरबत व गुड़ दाना को छूने से कतराते हैं तो वहीं पर बड़े बुजुर्गो पर भी चाय का नशा सवार हो गया है, प्राचीन संस्कृति तो कहीं खो सी गई है |

प्राचीन समय में गाँव के लोग जब दूर दराज के लंबे सफर में निकलते समय घर से भूजा दाना, सत्तू, गुड़ इत्यादि लेकर ग्रामीण निकलते थे लेकिन अब आधुनिक समय में इन सामानों का उठान हो गया तथा लोग जेबों पैसे लेकर चलते हैं तथा रास्ते में चाय समोसे खाकर काम चलाने लगे हैं।

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