adhunik hindi kavitha nibandh
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आधुनिक हिंदी कविता का विकास विभिन्न आंदोलनों से गुजरा है । 1850 ई. से लेकर आज तक की कविता ‘आधुनिक हिंदी कविता’ नाम से पहचानी जाती है । भारतेन्दु युगीन कविता द्विवेदी युगीन कविता, छायावादी कविता, प्रगतिवादी कविता, प्रयोगवादी कविता, नयी कविता, समकालीन तथा आज की कविता नामक आंदोलनों से गुजरकर वह आज अपने विकास की चरम सीमा पर पहुँच चुकी है । हर आंदोलन या धारा के कवियों ने मानव जीवन की हर संवेदना, भाव, गतिविधि, दर्शन, विसंगति, समस्या, प्रकृति, प्राकृतिक परिवेश,पर्यावरण आदि को अपनी कविता में स्थान दिया । हर कवि की कविता में ये सब अलग तथा नवीन रूप धारण करके आया है । इस अंकन में काफी बदलाव होता गया । कविता में वैज्ञानिक संदर्भों ने भी स्थान पाया । प्राकृतिक सौंदर्य के प्रभाव में तथा अवलोकन करने की साहित्यकारों / कवियों की प्रवृत्ति में परिवर्तन हुआ। आधुनिक हिंदी कविता की विकास प्रक्रिया को गतिशील रखने में अनेक रचनाकारों की सहभागिता है। प्रारम्भिक दौर से लेकर आज तक ऐसे अनेक कवि तथा कवयित्रियाँ होकर गयी हैं जिन्होंने ‘आधुनिक हिंदी कविता’ अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाए रखी है। इनमें भारतीय रचनाकारों के साथ प्रवासी भारतीय रचनाकारों ने अपनी सृजनात्मकता को जीवंत रखा।‘आधुनिक हिंदी कविता’ को केवल इन्होंने विकसित नहीं किया तो अप्रवासी रचनाकारों ने भी अपनी रचनात्मकता दर्ज की है ।
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