Hindi, asked by djejdn, 1 year ago

adhunik shiksha samasya in hindi 500 words

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Answered by ayush84844
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किसी भी राष्ट्र अथवा समाज में शिक्षा सामाजिक नियंत्रण, व्यक्तित्व निर्माण तथा सामाजिक व आर्थिक प्रगति का मापदंड होती है । भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश प्रतिरूप पर आधारित है जिसे सन् 1835 ई॰ में लागू किया गया ।

जिस तीव्र गति से भारत के सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक परिदृश्य में बदलाव आ रहा है उसे देखते हुए यह आवश्यक है कि हम देश की शिक्षा प्रणाली की पृष्ठभूमि, उद्‌देश्य, चुनौतियों तथा संकट पर गहन अवलोकन करें ।

सन् 1835 ई॰ में जब वर्तमान शिक्षा प्रणाली की नींव रखी गई थी तब लार्ड मैकाले ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अंग्रेजी शिक्षा का उद्‌देश्य भारत में प्रशासन के लिए बिचौलियों की भूमिका निभाने तथा सरकारी कार्य के लिए भारत के विशिष्ट लोगों को तैयार करना है ।

इसके फलस्वरूप एक सदी तक अंग्रेजी शिक्षा के प्रयोग में लाने के बाद भी 1935 ई॰ में भारत की साक्षरता दस प्रतिशत के आँकड़े को भी पार नहीं कर पाई । स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की साक्षरता मात्र 13 प्रतिशत ही थी ।

इस शिक्षा प्रणाली ने उच्च वर्गों को भारत के शेष समाज में पृथक् रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । ब्रिटिश समाज में बीसवीं सदी तक यह मानना था कि श्रमिक वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने का तात्पर्य है उन्हें जीवन में अपने कार्य के लिए अयोग्य बना देना । ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली ने निर्धन परिवारों के बच्चों के लिए भी इसी नीति का अनुपालन किया ।

लगभग पिछले दो सौ वर्षों की भारतीय शिक्षा प्रणाली के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह शिक्षा नगर तथा उच्च वर्ग केंद्रित, श्रम तथा बौद्‌धिक कार्यों से रहित थी । इसकी बुराइयों को सर्वप्रथम गाँधी जी ने 1917 ई॰ में गुजरात एजुकेशन सोसायटी के सम्मेलन में उजागर किया तथा शिक्षा में मातृभाषा के स्थान और हिंदी के पक्ष को राष्ट्रीय स्तर पर तार्किक ढंग से रखा । स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में शांति निकेतन, काशी विद्‌यापीठ आदि विद्‌यालयों में शिक्षा के प्रयोग को प्राथमिकता दी गई ।

सन् 1944 ई॰ में देश में शिक्षा कानून पारित किया गया । स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत हमारे संविधान निर्माताओं तथा नीति-नियामकों ने राष्ट्र के पुननिर्माण, सामाजिक-आर्थिक विकास आदि क्षेत्रों में शिक्षा के महत्व को स्वीकार किया । इस मत की पुष्टि हमें राधाकृष्ण समिति (1949), कोठारी शिक्षा आयोग (1966) तथा नई शिक्षा नीति (1986) से मिलती है ।

Answered by bhatiamona
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                                                आधुनिक शिक्षा समस्या

आधुनिक शिक्षा  प्रणाली में गुणवत्ता और नैतिकता में कमी

आज के समय में शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता और नैतिकता में कमी आ रही है , हम इस बात को झूठ नहीं मान सकते है |  

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में  दोष यह है कि यहाँ शिक्षा की द्वैध प्रणाली है । बड़े घरों के बच्चो के लिए अंग्रेजी माध्यम के पब्लिक स्कूल और साधारण घरो के बच्चो के लिए भारतीय भाषाओ के माध्यम वाले सरकारी व अर्द्ध-सरकारी विद्यालय हैं । इससे भेद-भाव की भावना आती है और बच्चों में आगे फर्क जाता है , उनके स्कूल के साथ-साथ उनकी शिक्षा भी बाँट दी गई है|

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा, शिक्षा नहीं रही है | यह एक दिखावा और व्यापार और एक रेस की तरह बन गया है | बच्चों के मन में यही चलता रहता है मेरे सबसे ज्यादा अंक और किसी के नहीं| बच्चों से लेकर उनके माता-पिता के मन में दूसरों के प्रति जलन भावना है हमारा बच्चा पीछे ना रह जाए |  

गुणवत्ता और नैतिकता तो रह ही नहीं गई है | कोई किसी भी मदद और बात नहीं करना चाहता | आपस में कोई मिलकर रहना नहीं चाहता | सब आगे बढ़ने में लगे है |  एक दूसरे को आगे बढ़ते नहीं देख सकते | दया ,भावना , प्यार सब खत्म हो गया है ,आगे बढ़ने की चक्कर में|  

आधुनिक शिक्षा में बस आगे बढ़ना सिखाया जाता है , बाकी संस्कार जैसी बाते खत्म होती जा रही है | पहले बच्चे स्कूल में बहुत कुछ सीखता था लेकिन अब वह पढ़ाई के अलावा और कुछ नहीं सीखता |

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