adhyanan ka mahatva essay in hindi with point
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अध्ययन की महिमा अनंत है । किसी भी राष्ट्र अथवा देश के नागरिक जितना ही अध्ययन को महत्व देंगे वह राष्ट्र उतना ही प्रगतिशील होगा । समस्त विकसित देश, विकासशील देशों से इसलिए अग्रणी हैं क्योंकि उन्होंने प्रारंभ से ही अध्ययन को महत्व दिया । ... अत: राष्ट्र का विकास तभी संभव है जब वह देश में अध्ययन को महत्व देता
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मनुष्य स्वभाव से ही अध्ययनशील प्राणी माना गया है। ‘अध्ययन’ शब्द का अर्थ है-पढऩा। अध्ययन या पढऩे के मुख्य दो रूप स्वीकारे जाते हैं – एक, विशेष अध्ययन, जो किसी विशेष विषय या विशेष प्रकार की पुस्तकों तक ही सीमित हुआ करता है। दूसरा, सामान्य अध्ययन, जो सभी प्रकार के विषयों और पुस्तकों के साथ-साथ पत्र-पत्रिकांए तथा व्यापक जीवन के प्रत्येक पक्ष पढऩे तक विस्तृत हो सकता है। पहले विशेष अध्ययन के भी दो रूप माने जा सकते हैं-एक किसी विशेष विषय पर शोध करने के लिए और दूसरा विशेष प्रकार की रूचि के अंतर्गत कुछ विशेष प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन। आनंद की प्राप्ति इस प्रकार के अध्ययन से भी निश्चय ही हुआ करती है। पर संसार की विविधता के अनुरूप विविध विषयों के अध्ययन का आनंद अपना अलग और सार्वभौमिक महत्व रखता है। इस प्रकार के अध्ययन से हमारा मनोरंजन तो हुआ ही करता है, हमारे व्यावहारिक ज्ञान का क्षेत्र भी विस्तार पाता है। इसी कारण इस व्यापक अध्ययन को विशेष महत्वपूर्ण स्वीकार किया गया है और इसी को अधिक आनंददायक भी माना जाता है।
बुद्धिमानों और विद्वानों ने पुस्तकों को मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ साथी बताया है। मनुष्य चाहे तो उसका यह साथी घर-बाहर प्रत्येक कदम पर उसके साथ रह सकता है। घर में अकेले हैं, समय नहीं कट रहा, कोई पुस्तक उठाकर पढऩा शुरू कर दीजिए, समय कब बीत गया, पता ही नहीं चलेगा। अकेले बस या ट्रेन में सफर कर रहे हैं। यात्रा बोझिल लग रही है। बस, झोले में से निकालकर कोई पुस्तक या पत्रिका पढऩा शुरू कर दीजिए। सफर कब कट गया, जान तक न सकेंगे। है न पुस्तक जीवन का सर्वश्रेष्ठ साथी। इतना ही नहीं, मन किसी उलझन में पड़ गया है, किसी चिंता ने आ दबोचा है, घबराइए नहीं। कोई अच्छी-सी पुस्तक, किसी सफल महापुरुष की जीवनी निकालकर पढऩे लगिए। कोई कारण नहीं कि उलझन का सुलझाव और समस्या का समाधान न हो जाए। अच्छी पुस्तकों में जीवन को सफल सार्थक बनाने वाले, हमारी उलझनों ओर समस्याओं को सुलझाने वाले अनगिनत उपाय भरे पड़े हैं। वे उपाय मन को आनंदित ते करते ही हैं, कई बार चौंका भी देते हैं और तब हम कहने को बाध्य हो जाया करते हैं कि-बस, इतनी-सी बात के लिए ही हम लोग व्यर्थ में परेशान हो रहे थे। इससे स्पष्ट है कि पुस्तकों का अध्ययन हमें आनंद तो देता ही है, एक अच्छे मित्र के समान हमारे लिए मनोरंजन की सामग्री भी जुटाता है, साथ में अच्छे मित्र के समान ही हमें समय-समय पर सत्परामर्श देकर हमारी समस्याओं का समाधान भी करता है। इन तथ्यों के आलोक में अध्ययन को हम एक अच्छा पथ-प्रदर्शक कह सकते हैं।