Adhyayan ke bhoi army saurav se aap kya samajhte hain vibhinn paryavaran samasyaon ko hal karne mein bahu vishesh uk district kaun kaise sahayak hai vistar se vyakhya karen hindi mein
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पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण, संरक्षण एवं सतत विकास को बढ़ावा देने के लिये पर्यावरण की प्रगति आदि के नियंत्रण के लिये हमारे देश की सरकार की भूमिका काफी आलोचनात्मक है। विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर कार्य करने के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर, राष्ट्रीय सरकारों तथा सिविल सोसाइटी द्वारा कई पर्यावरण संबंधी संस्थाएँ एवं संगठन स्थापित किए गए हैं। कोई भी पर्यावरणीय संगठन एक ऐसा संगठन होता है जो पर्यावरण को किसी प्रकार के दुरुपयोग तथा अवक्रमण के खिलाफ सुरक्षित करता है साथ ही ये संगठन पर्यावरण की देखभाल तथा विश्लेषण भी करते हैं एवं इन लक्ष्यों को पाने के लिये प्रकोष्ठ भी बनाते हैं। पर्यावरणीय संगठन सरकारी संगठन हो सकते हैं, गैर सरकारी संगठन हो सकते हैं या एक चैरिटी अथवा ट्रस्ट भी हो सकते हैं। पर्यावरणीय संगठन वैश्विक, राष्ट्रीय या स्थानीय हो सकते हैं। यह पाठ अग्रणीय पर्यावरणीय संगठनों के बारे में सूचना प्रदान करता है। ये संगठन सरकारी हों या सरकार के बाहर के राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के संरक्षण तथा विकास के लिये कार्य करते हैं।
उद्देश्य
इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात आपः
i. भारत में पर्यावरणीय प्रशासन से संबंधित विभिन्न मंत्रालयों तथा संस्थाओं की सूची बना सकेंगे ;
ii. पर्यावरणीय प्रबंधन के क्षेत्र में वैश्विक संस्थाओं की जिम्मेदारी तथा उनकी भूमिका का वर्णन कर सकेंगे;
iii. पर्यावरणीय संरक्षण एवं सतत विकास में लगे महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) की भूमिका तथा गतिविधियों का वर्णन कर पाएँगे ;
iv. पर्यावरण के लिये संयुक्त राष्ट्र के निकायों की भूमिका का वर्णन कर सकेंगे।
25.1 भारत में पर्यावरणीय संस्थाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारतीय सभ्यता के आरम्भ से ही पर्यावरण को सुरक्षित रखने की जागरूकता लोगों में मौजूद थी। वैदिक एवं वैदिककाल के बाद का इतिहास इस बात का साक्षी है लेकिन आधुनिक काल में, विशेष रूप से स्वतंत्रता के बाद से, आर्थिक प्रगति को उच्च प्राथमिकता मिलने के कारण, पर्यावरण कुछ कम महत्त्वपूर्ण स्थान पर रह गया। केवल 1972 में पर्यावरणीय योजना एवं सहयोग के लिये राष्ट्रीय कमेटी (National Committee of Environment and Forest, NCEPC) के गठन के लिये कदम उठाए गए जो धीरे-धीरे पर्यावरण का अलग विभाग बना और 1985 में यह पूर्णरूप से पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के रूप में परिवर्तित हुआ। शुरूआत में भारत के संविधान में पर्यावरण को बढ़ावा देने या उसके संरक्षण के लिये किसी प्रकार के प्रावधान नहीं थे। लेकिन 1977 में हुए 42वें संविधान संशोधन में कुछ महत्त्वपूर्ण धाराएँ जोड़ी गई जो सरकार पर एक स्वच्छ एवं सुरक्षित पर्यावरण प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपती है।