Hindi, asked by monagoyal911622, 6 months ago

aese rituraj ke na aaj din dwai gaye se kavi ka kya abhipray haiऐसे ऋतुराज के नाम आज दिन भर गए से कवि का क्या अभिप्राय है ​

Attachments:

Answers

Answered by shishir303
3

O  “ऐसे ऋतुराज के न आज दिन द्वै गए से” कवि का अभिप्राय है​...

►  उपरोक्त पंक्तियों में कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसे मनमोहक ऋतुराज बसंत को आए अभी कुछ समय ही बीता है, इसलिए अभी ऋतुराज वसंत के आने के कारण चारों तरफ परिवर्तन दिखाई देने लगा है, और सब मंगल गीत गा रहे हैं, और तन और मन प्रफुल्लित है।

कवि पद्माकर द्वारा रचित ‘वसंत’ नामक इस कविता में कवि पद्माकर वसंत ऋतु के सौंदर्य का वर्णन कर रहा है ऋतुराज वसंत का आगमन हो चुका है और प्रकृति में चारों ओर उल्लास का वातावरण है। मानव हो या अन्य जीव सभी में एक अजीब सी मादकता दिखने लगी है, ये सब वंसंत ऋतु कही कमाल है। भवरे चारों तरफ गुंजायमान हो उठे हैं. जैसे मानों बसंत उत्सव का जैसे मानो वसंत उत्सव का गीत गा रहे हों।

☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼

Answered by sridhar56
2

Answer:

hi baby thanks for reply

Similar questions