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विज्ञान अभिशाप या वरदान शीर्षक पर एक
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प्रस्तावना:- आज युग विज्ञान का युग है। आज विज्ञान ने हमारे जीवन को बाहर-भीतर दोनों ओर से प्रभावित किया है। इसने बाहर से हमारे सभी कार्यकलापो को अपने प्रभाव में लिया है, तो भीतर से इसने हमारे मन-मस्तिष्क को अपने अनुकूल बना लिया है। इस प्रकार विज्ञान से हम पूर्णरूप से प्रभावित होकर इसके अनुकूल होने के लिए पूरी तरह बाध्य हो चुके है। इस संदर्भ में यह भी कहना उचित होगा की विज्ञान ने आज इतनी उन्नति कर ली है कि यदि आदि कालीन मनुष्य पृथ्वी पर आ जाए तो उसे शायद यह विशवास ही नही होगा कि यह वही पृथ्वी है। इसके निवासी पहले जैसे है। यहाँ सब कुछ पहले जैसा न होकर कैसे बदल गया।
विज्ञान का वरदान स्वरूप:- विज्ञान की उन्नति अब शेशयवस्था को पार कर चुकी है। अब वह यौवनावस्था में आ चुकी है। फलतः उसने अपनी चरम उन्नति कर ली है। इस तथ्य की पुष्टि में संक्षिप्त रूप से इतना कहा जा सकता है कि अब इसने दुज़रे विधाता का नाम और स्थान प्राप्ति कर लिया। टेस्ट ट्यूब में इच्छानुसार संलन की प्राप्ति करने से लेकर आकाश-पताल के गम्भीर रहस्यों का ज्ञान प्राप्त करने तक विज्ञान ने अब मनुष्य को सृष्टि का दूसरा ब्रह्मा सिद्ध कर दिया है। आज विज्ञान का स्वरूप और उसके कार्य अनंत है। इससे इसने सम्पूर्ण सृष्टि को प्रभावित और चमत्कृत कर दिया है।
यत्र-तत्र-सर्वत्र:- मतलब आज विज्ञान यत्र-तत्र-स्वत्र वर्तमान है। दुसरे शब्दो मे इसने एक साथ ही थल, वायु और जल पर समान रूप से अधिकार प्राप्त कर लिए है। विज्ञान की सर्व व्यापकता और सार्वभौमिकता इस दृष्टि से भी सिद्ध होती है कि इसने जीवन के भीतरी ओर बाहरी स्वरूपो को भलीभाँति प्रभावित किया है।
प्रकृति पर विजय:- अपनी सर्वव्यापकता को प्रभावशाली बनाने के लिए विज्ञान ने प्रकृति के सभी स्वरूपो को प्रभावित किया है। आज विज्ञान का ही प्रभाव है कि आकाश और पताल के गूढ़ रहस्य आज एक-एक करके खुलते जा रहे है। प्रकृति पर अपनी विजय पताका फहराते हुए विज्ञान ने दुसरे विधाता के रूप में अपनी पहचान प्रस्तुत कर दी है। इसने जल पर स्वत्वाधिकार प्राप्त कर लिया है। इसके लिए इसने विभिन्न जलयान से लेकर दूरबीन जैसी चीजों की खोज करके जल के विषय मे अपने ज्ञान की अपार व्रद्धि कर ली है। इसी तरह इसे न विभिन्न वायुयान सहित कई प्रकार की संचार अनुसंधान सहित कई सुविधाओं को अर्जित करके अपने कौशल का परिचय दिया। पृथ्वी पर विज्ञान की धूम मचने का कहना ही क्या। बिजली के आविष्कार ने विज्ञान को सर्वाधिक गति और उसकी अन्य क्षमताओं का आकर्षक और रोमहर्षक परिचय दिया है। विधुत का आविष्कार की सहायता से हम पलक झपकते ही हम बहुत दूर निकल जाते है। सैकड़ो किलोमीटर की दूरी तय करने में हमें कुछ ही समय लगते घर बैठे-बैठे में हम असाधारण और असम्भव-सा लगने वाला काम आनन-फानन में पूरा कर लेते है। इस दृष्टि से बिजली का आविष्कार आज विज्ञान का एक ऐसा आविष्कार है, जिसके बिना हम निष्प्राण हो सकते है। इसके बिना हमारा कोई कार्य पूरी तरह से न संपादित हो सकता है और न उसके अगले कदम की परिकल्पना ही कि जा सकती है। यही कारण है। आज विज्ञान द्वारा मचाई जा रही धूम का सर्वाधिक आधार बिजली ही है।
मनोरंजन के क्षेत्र में विज्ञान:- मनोरंजन के क्षेत्र में विज्ञान सचमुच में वरदान सिद्ध हुआ है।उसने हमारे लिए अपेक्षित मनोरंजन के साधनों को उपलब्ध कराया है। इस दृष्टि से दूरदर्शन की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसके विभिन्न चैनलों से हम मनचाहे कार्यक्रमों को देख-रेख कर के अपना पूरा मनोरंजन कर सकते है। चलचित्र , वीडियो गेम, फोटो कैमरा, टेपरिकार्डर, वी.सी.आर., वी.डी. ओ. कैसेट आदि विज्ञान प्रदत्त मनोरंजन के श्रेस्ठ साधन है।
Answer:
विज्ञान को हम दो नज़रिए से देख सकते हैं पहला तो अभिशाप ओर दूसरा वरदान..
1) विज्ञान एक वरदान के रुप में =
जिस प्रकार से वर्तमान समय में तकनीकी के विकास के कारण जीवन जीना आसान और बेफिकर होते जारहा हैं, इसके पीछे विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान है