Hindi, asked by kavadiyahardikakavad, 1 month ago

अफसर की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए​

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Answered by AnjanaUmmareddy
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Answer:

"अफसर व्यंग्य की प्रासंगिकता वर्तमान में बहुत महती है, क्योंकि उसके साथ दोस्ती नहीं की जा सकती है, लेकिन रिश्ता कायम किया जा सकता है। अफसर के साथ नहीं चला जा सकता, सदैव उसके पीछे चलना होता है। कहावत है, अफसर के सामने और घोड़े की पीछे नहीं आना चाहिये, क्योंकि दोनों पता नहीं कब लात मार दे, निश्चित नहीं है।"

Answered by psbrainlycop
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Answer:

अफसर की प्रासंगिकता श्री शरद जोशी के द्वारा लिखी गई है।

Explanation:

दफ्तर के मुख्य अधिकारी को अफ़सर कहते है, उनके गुणों का बखान करते हुए अपने-अपने व्यंग्य-बाण छोड़ते हैं। शरद जोशी कहते हैं की प्रशासनिक ढाँचे में ढलकर एक अफसर तैयार होता है । अफसर आता है और चला जाता है, लेकिन अफसर मरता नहीं, जिस तरह शरीर को त्याग दिए जाते है, और आत्मा नहीं मरती, ठीक उसी तरह कुर्सियाँ बदल दी जाती हैं, अफसर की अफ़सरी वह ही रहती है। शरदजी उन्हें एक चालबाज इंसान व समय के अनुसार चलने वाले फुर्तीले कछुए की संज्ञा देते हैं।अफसर व्यंग्य की प्रासंगिकता वर्तमान में बहुत ही महती है, क्योंकि अफसर के साथ दोस्ती नहीं की जा सकती है, उनके साथ रिश्ता कायम किया जा सकता है। अफसर के साथ नहीं चला जाता हमेशा उनके पीछे चला जाता है। कहावत है, अफसर के सामने और घोड़े की पीछे नहीं आना चाहिये, क्योंकि दोनों पता नहीं कब लात मार दे, निश्चित नहीं है। यह बिल्कुल उचित है कि आगे हो या पीछे हालत बिगड़ने का अंदेश हमेशा रहता है।

अतः सही उत्तर है, श्री शरद जोशी।

#SPJ3

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