Afsar ke sath navab mein baithane ke kya khatra hai
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शरदजी ने अफसर के भ्रष्ट रूप को जो समाज में चारों ओर प्रत्यक्ष दिखाई देता है, उसे अपने व्यंग्य बाणों द्वारा व्यक्त किया है। अफसर व्यंग्य की प्रासंगिकता वर्तमान में बहुत महती है, क्योंकि उसके साथ दोस्ती नहीं की जा सकती है, लेकिन रिश्ता कायम किया जा सकता है। अफसर के साथ नहीं चला जा सकता, सदैव उसके पीछे चलना होता है।
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