अग्निपथ कविता मे कवि जीवन को कैसा कहते है ? *
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'अग्निपथ' कविता का केंद्रीय भाव लिखिए । कवि जीवन को अग्निपथ अर्थात आग से भरा पथ मानता है। इसमें पग–पग पर चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ है। मनुष्य को इन चुनौतियाँ से घबराना नहीं चाहिए और बल्कि पसीना बहाकर तथा निरंतर संघर्ष पथ पर अग्रसर रहना चाहिए।
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कवि जीवन को अग्निपथ अर्थात् आग से भरा पथ मानता है। ... 'अग्निपथ' अर्थात् – संघर्षमयी जीवन में हमें चाहे अनेक घने वृक्ष मिलें, परंतु हमें एक पत्ते की छाया की भी इच्छा नहीं करनी चाहिए। किसी भी सहारे के सुख की कामना नहीं करनी चाहिए। अग्निपथ कविता में संघर्षमय जीवन को अग्निपथ कहा गया है और सुख-सुविधाओं को घने वृक्षों की छाया।
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