अग्नि सूक्त का प्रतिपाद्य
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संदर्भ – प्रस्तुत मंत्र अग्नि-सूक्त का अन्तिम मंत्र है। यह सूक्त ऋग्वेद के प्रथम मण्डल का प्रथम सूक्त है। इसके देवता अग्नि, ऋषि विश्वमित्र तथा छन्द गायत्री है। इसमें ऋषि विश्वामित्र ने अग्नि देव से यजमान के लिए सुप्राप्य एवं कल्याणकारी बनने की कामना की है- अनुवाद- हे अग्नि देव!
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संदर्भ – प्रस्तुत मंत्र अग्नि-सूक्त का अन्तिम मंत्र है। यह सूक्त ऋग्वेद के प्रथम मण्डल का प्रथम सूक्त है। इसके देवता अग्नि, ऋषि विश्वमित्र तथा छन्द गायत्री है। इसमें ऋषि विश्वामित्र ने अग्नि देव से यजमान के लिए सुप्राप्य एवं कल्याणकारी बनने की कामना की है- अनुवाद- हे अग्नि देव!
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