अग्नाशय का प्रमुख कार्य क्या हैं ? समझाइए।
Answers
अग्न्याशय कशेरुकी जीवों की पाचन व अंतःस्रावी प्रणाली का एक ग्रंथि अंग है। ये इंसुलिन, ग्लुकागोन, व सोमाटोस्टाटिन जैसे कई ज़रूरी हार्मोन बनाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथि है और साथ ही यह अग्न्याशयी रस निकालने वाली एक बहिःस्रावी ग्रंथि भी है, इस रस में पाचक किण्वक होते हैं जो लघ्वांत्र में जाते हैं।
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Answer:
अग्न्याशय एक द्वि-कार्यीय ग्रंथि है, इसमें अंतःस्रावी ग्रंथि व बहिःस्रावी ग्रंथियों - दोनों के कार्य होते हैं।
Explanation:
अंतःस्रावी
अंतःस्रावी क्रियाकलापों वाला अग्न्याशय में कुछ १० लाख[3] कोशिका झुंड हैं जिन्हें आइलेट्स ऑफ़ लेंगर्हांस कहते हैं। आइलेटों में चार मुख्य प्रकार की कोषिकाएँ हैं। मानक दागीकरण विधियों से इन्हें भिन्नित करना थोड़ा कठिन है, लेकिन इन्हें रिसाव के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है: α - अल्फ़ा कोषिकाएँ ग्लूकागोन, β बीटा कोषिकाएँ इंसुलिन, δ डेल्टा कोषिकाएँ सोमाटोस्टेटिन और पीपी कोषिकाएँ अग्न्याशयी पौलीपेप्टाइड का रिसाव करती हैं।[4]
आइलेट अंतःस्रावी कोषिकाओं का एक सघन समुच्चय है जो कि झुंडों और डोरियों में आयोजित होते हैं और इनके आसपास आड़ी तिरछी केशिकाओं का एक घना जाल होता है। आइलेटों की केशिकाओं में अंतःस्रावी कोशिकाओं की परतों का अस्तर होता है जो वाहिनियों से सीधे संपर्क में रहने के लिए साइटोप्लास्मी प्रक्रियाओं या सीधे एकान्वयन का प्रयोग करता है। एलन ई. नोर्स की शरीर नामक पुस्तक के अनुसार,[5] ये आइलेट "अथक रूप से अपने हार्मोन बनाने में लगे रहते है और आमतौर पर आसपास की अग्न्याशयी कोषिकाओं को नज़रंदाज़ करते हैं, मानो वे शरीर के बिल्कुल अलग ही अंग में हों।"
बहिःस्रावी
अंतःस्रावी अग्न्याशय रक्त में हार्मोनों का रिसाव करता है तो बहिःस्रावी अग्न्याशय, लघ्वांत्र के हार्मोनों सिक्रेटिन व कोलिसिस्टोकाइनिन की प्रतिक्रियास्वरूप, पाचक किण्वक और एक क्षारीय तरल अग्न्याशयी रस उत्पन्न करता है और बहिःस्रावी वाहिनियों के जरिए उनका लघ्वांत्र में रिसाव कर देता है। पाचक किण्वकों में ट्रिप्सिन, किमोट्रिप्सिन, अग्न्याशयी लाइपेस व अग्न्याशयी एमिलेस शामिल हैं और इनका उत्पादन और रिसाव बहिःस्रावी अग्न्याशय की गुच्छिक कोशिकाओं द्वारा होता है। अग्न्याशयी वाहिनियों के अस्तर कुछ खास कोषिकाओं के बने होते हैं, इन्हें सेंट्रोएसिनार कोशिकाएँ कहते हैं और ये बाइकार्बनेट व लवण में धनी घोल का लघ्वांत्र में रिसाव करती हैं
अग्न्याशय नियमित रूप से रक्त में हार्मोनों के जरिए व स्वचालित स्नायुतंत्र के जरिए नियमित रूप से तंत्रिका भरण प्राप्त करता रहता है। ये दोनो निविष्टियाँ अग्न्याशय की रिसाव गतिविधियों को नियंत्रित करती है।