अग्रलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
मेरे गाँव में एक भलेमानस के पास एक हाथी था । नानेहाल जाते वक्त मैं उस पर चढ़ा था। ऊँचे आसन पर
झूमते हुए जाने में कम आनन्द नहीं आया था, किन्तु वह हाथी बाहरी मन को जितना आनन्द नहीं दे पाया,
अन्तरमन में उतना ही भय बिठा गया । प्राय ही स्वप्न में उस हाथी को देखता और भी भयंकर रूपों कई सैंड,
कितने बडे-बडे दॉता वह अपने पैरों तले कुचलने को लिए हमें खदेड़ता। मैं भागता मेरे नन्हें पैर कहाँ तक भागते
। किन्तु यह क्या, अचानक मेरे पैरों में पंख फूट आते, मैं उड़ने लगता- सर-सर-सर। अन्तरमन ने बर्हिमन को
अभिभूत किया कि वह साथ-साथ बलवती होती गई। जब विज्ञान ने साधन जुटाए तो और भी छटपटाहट बढ़ी।
कई बार सोचा क्यों न दस-पाँच रूपए पटना शहर पर एक चक्कर देकर उसे पूरा ही कर लूँ । मित्रों के
बार-बार आग्रह हुए, किन्तु कलाकार का हौंसला। अरे कौआ उड़ान भी कोई उड़ान है।
प्रयनों के उत्तर एक शब्द अधिक से अधिक एक वाक्य में दें:-
(क) अन्तरमन में हाथी ने किस प्रकार अपना डर बिठा दिया ?
(ख) लेखक बचपन में किस प्रकार के स्वप्न देखते थे?
(ग) अन्तरमन तथा आग्रह शब्द का विलोम लिखें।
(घ) विज्ञान के साधन जुटाने के बाद लेखक की छटपटाहट क्यों बढ़ी?
(ड) गद्यांश का उचित शीर्षक लिखें ।
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छोटे से गांव के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह की कोई बात नही है. . .
Explanation:
शसबॅट्एडग़बैडफबृबूबसैबेहहैहेहबृबबैबबैबे
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