Agar harihar kaka apne samasya lekar aapke paas aate toh aap unhe kya salah denge. Aapke aur harihar kaka ke beech samvad likhiye .
Answers
अगर हरिहर काका अपनी समस्या लेकर मेरे पास आते तो मेरी उनसे इस तरह बात होती।
हरिहर काका — बेटा, मुझे तुमसे कुछ सलाह चाहिये, बहुत परेशान हूँ।
मैं — बोलिये काका।
हरिहर काका — बेटा में एक कहने को मेरे बहुत रिश्तेदार हैं, लेकिन वास्तव में कई अपना नही है। मेरी पत्नी का देहांत हो चुका है, मेरे बच्चे नही हैं। भाई लोगों के साथ रहता हूँ, कहने को तो भाई हैं लेकिन ये रिश्ता दिखावेभर का है क्योंकि भाई लोगों को सिर्फ मेरी संपत्ति में रुचि है।
मैं — काका आपके पास कितनी संपत्ति है।
हरिहर काका — थोड़े से खेत हैं, बेटा, लेकिन सब लोग मेरे उन खेतों के पीछे पड़ें हैं कि किसी तरह मेरे खेत हड़प लें। गांव के एक मंदिर के महंत की बुरी नजर भी मेरे खेतों पर है।
मैं — काका मेरी एक सलाह मानोगे क्या।
हरिहर काका — बोलो बेटा।
मैं — पहले तो किसी को बातों में अपनी संपत्ति अपने जीते-जी किसी के नाम नही करना, चाहे वो आपके भाई लोग हों या गांव के लोग। अगर आपने इनकी बातों में आकर अपनी संपत्ति इनके नाम कर दी तो उसके बाद ये आपको दूध में मक्खी तरह निकाल फेकेंगे।
हरिहर काका — बेटा मैं समझ रहा हूँ कि ऐसा ही हो सकता है।
मैं — मेरी राय मानो तो अपनी संपत्ति कोई नेक काम के लिये जैसे किसी अस्पताल, स्कूल या वृद्धाश्रम आदि बनवाने के लिये किसी स्वयंसेवी संस्था को दान कर दो और साथ ही उनसे एक कानूनी अनुबंध कर लो कि जब तक आप जीवित रहोगे तब तक वो आपकी देखभाल करेंगे या आपकी संपत्ति के एवज आपको नियमित धनराशि खर्चे के रूप में देते रहेंगे। इससे सारा झगड़ा ही मिट जायेगा। आपका अपने स्वार्थी रिश्तेदार और गांववाले से पीछा छूटेगा।
हरिहर काका — बेटा बात तुमने सही कही है।
मैं — काका, इससे पुण्य का काम भी हो जायेगा और आपक शेष जीवन सुरक्षित हो जायेगा, और हाँ कोई भी निर्णय करना तो कानूनन करना ताकि भविष्य में तकलीफ न हो।
हरिहर काका — बेटा तुम्हारी इस सलाह के लिये धन्यवाद। तुम्हारी ये सलाह बहुत अच्छी लगी। मैं इस पर विचार करता हूँ।
मैं — काका, अच्छी तरह सोच-समझ कर निर्णय लेना। एक कानूनी अनुबंध पत्र जरूर बनवा लेना।
हरिहर काका — जरूर बेटा। तुम्हारी बात मैं ध्यान में रखूंगा।