Hindi, asked by thbanantsinghal, 5 hours ago

Agar Main Chidiya Hota /hoti ? anuched likho in Hindi....
please answer ​

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Answered by YourQueen00
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Explanation:

यदि में चिड़िया होता पर अनुच्छेद लेखन

यदि मैं पक्षी होता तो खुले आकाश में विचरण करता, भूमंडल में विचरण करता, इच्छानुसार भोजन करता और वृक्षों की शाखाएं मेरी शय्या होती। मेरा जीवन स्वतंत्र और स्वच्छंद होता। ... अगर मैं भी पक्षी होता तो मैं भी पेड़ों पर बैठकर चिल्लाता और अपने मधुर गान से हर किसी को मोहित कर देता।

Essay

तो आइए आज इस भाव के बारे में मंथन करते हैं, विचार करते हैं। अगर मनुष्य पक्षी होता तो बस बेपरवाह आजाद सा होकर आसमान में उड़ता रहता, फिर तो किसी भी वस्तु, व्यक्ति, विचार, आडंबर, समाज की परवाह ना होती, ज़रा भी फिकर ना होती, ना ही बंधनों में बंधना पड़ता, बंधन जो बेवजह मनुष्य को पूरे जीवन रोक कर रखते हैं।

मनुष्य पक्षी होता तो बिना किसी रोक टोक कहीं भी आ जा सकता, फिर ना किसी टिकट की आवश्यकता होती ना किसी वीजा की, ना ही किसी की अनुमति की आवश्यकता होती, फिर सरहदों के झगड़े भी ना होते ना ही राज्य या क्षेत्र को लेकर बेवजह की अनबन।मनुष्य अगर पक्षी होता तो उन सभी बोझों को नीचे फेंक देता जो मनुष्य की कमर पर लदे रहते हैं, जैसे ईर्ष्या, दूसरों से तुलना, मन में घृणा, लालच, बेइमानी, धोखा, झूठ, फरेब, दिखावा, नाम की इज्जत, अव्वल होने की होड़ आदि ।फिर ना मनुष्य के पास समय बचता है, ना पर्याप्त ऊर्जा और ना ही सेहत फिर जो बचता है वह होता है बस बहुत सारा पश्चाताप। अगर मनुष्य पक्षी होता तो दिखावे की इज्जत में पड़ कर दूसरे इंसान की जान भी ना लेता, दूसरे से झगड़ा भी ना करता ना ही किसी और को परेशान करता।

बस उस खुले आसमान की सैर होती, अपने मजबूत पंखों से वह पंख जो बस उड़ना जानते हैं, बस हमेशा से उड़ना जानते हैं। आजादी ही आजादी होती, केवल स्वतंत्रता और स्वतंत्रता से ही जुड़ा है प्रेमभाव, क्योंकि जिसे भी आप प्रेम करते हैं उसको बांधकर रखने में प्रेम खत्म होगा, तो खुला छोड़ दीजिए, उड़ने दीजिए, पंख फैलाने दीजिए और बस देखिए उस खूबसूरती से, मजबूती से उड़ते हुए पक्षी को।आसमान की जब सैर होगी तो मन होगा कि आकाश को नापा जाए, कितना विशालकाय है, कितना बड़ा कितना फैला हुआ और हम लोग मनुष्य होते हुए अपनी सोच इतनी छोटी रखते हैं । किसी को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख पाते हैं, मन में कुंठा पालते हैं, लालच रखते है।

फिर उड़ते वक्त पेड़ों पर नजर जाएगी और उन पेड़ों पर होगा एक छोटा खूबसूरत नरम घोसला जिसमें परिवार होगा, बिल्कुल!! पक्षी पति पत्नी और बच्चे, परंतु मानवीय तुच्छ भावों से पवित्र।

आसमान में उड़ान के वक्त कितना हल्का महसूस होगा, किसी भी प्रकार का बोझ नहीं, उड़ते वक्त हवा परो से टकराएगी और यह खुली हवा, आजाद हवा की ठंडक का एहसास !! इसका तो कोई मूल्य ही नहीं है, अमूल्य है यह!!!उड़ते वक्त बस इसी बात की सोच के ऊपर उड़ना है और ऊपर, आकाश में और ऊपर। यह सब एहसास मनुष्य योनि में रहकर तो संभव ही नहीं है क्योंकि मनुष्य ने तो अपने आपको इतना उलझा रखा है कि उड़ना तो दूर की बात है, वह खुल कर सांस भी नहीं ले पाता है।मनुष्य अपने ही बनाए हुए पिंजरे में कैद है, परन्तु साथ ही साथ आजाद भी होना चाहता है, पर वह बहुत अच्छे से जानता है कि आजाद होना नामुमकिन है इसलिए वह हमेशा ही मन में पक्षी होने की इच्छा रखता है क्योंकि मनुष्य से अच्छा कोई नहीं जानता आजादी का मतलब !! आडंबर के पिंजरे में बंद मानव को स्वतंत्रता का हमेशा से ही लालच रहा है, इसलिए उसे आजादी हमेशा से ही महत्वपूर्ण लगी है।

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