Agar may pakshi hota too nibandh in the hindi to write for
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तो आइए आज इस भाव के बारे में मंथन करते हैं, विचार करते हैं। अगर मनुष्य पक्षी होता तो बस बेपरवाह आजाद सा होकर आसमान में उड़ता रहता, फिर तो किसी भी वस्तु, व्यक्ति, विचार, आडंबर, समाज की परवाह ना होती, ज़रा भी फिकर ना होती, ना ही बंधनों में बंधना पड़ता, बंधन जो बेवजह मनुष्य को पूरे जीवन रोक कर रखते हैं।मनुष्य पक्षी होता तो बिना किसी रोक टोक कहीं भी आ जा सकता, फिर ना किसी टिकट की आवश्यकता होती ना किसी वीजा की, ना ही किसी की अनुमति की आवश्यकता होती, फिर सरहदों के झगड़े भी ना होते ना ही राज्य या क्षेत्र को लेकर बेवजह की अनबन।
मनुष्य अगर पक्षी होता तो उन सभी बोझों को नीचे फेंक देता जो मनुष्य की कमर पर लदे रहते हैं, जैसे ईर्ष्या, दूसरों से तुलना, मन में घृणा, लालच, बेइमानी, धोखा, झूठ, फरेब, दिखावा, नाम की इज्जत, अव्वल होने की होड़ आदि ।
मनुष्य सारी जिंदगी बस इन्हीं कुछ भावो में फंसकर, उलझ कर गुजार देता है। इन सब से ऊपर उठने की कोशिश भी नहीं कर पाता है। सारा जीवन बस झूठी शान और शौकत, नाम की इज्जत के लिए अपने अस्तित्व का गला दबाता रहता है, अपनी इच्छाओं पर मिट्टी डालता रहता है, यह सब करते हुए वह अपने आप को स्वयं कष्ट पहुंचा रहा होता है और जब वक्त निकल जाता है तब फिक्र में भूनकर शरीर में ढेरों बीमारियां घर कर लेती है।
फिर ना मनुष्य के पास समय बचता है, ना पर्याप्त ऊर्जा और ना ही सेहत फिर जो बचता है वह होता है बस बहुत सारा पश्चाताप। अगर मनुष्य पक्षी होता तो दिखावे की इज्जत में पड़ कर दूसरे इंसान की जान भी ना लेता, दूसरे से झगड़ा भी ना करता ना ही किसी और को परेशान करता।
बस उस खुले आसमान की सैर होती, अपने मजबूत पंखों से वह पंख जो बस उड़ना जानते हैं, बस हमेशा से उड़ना जानते हैं। आजादी ही आजादी होती, केवल स्वतंत्रता और स्वतंत्रता से ही जुड़ा है प्रेमभाव, क्योंकि जिसे भी आप प्रेम करते हैं उसको बांधकर रखने में प्रेम खत्म होगा, तो खुला छोड़ दीजिए, उड़ने दीजिए, पंख फैलाने दीजिए और बस देखिए उस खूबसूरती से, मजबूती से उड़ते हुए पक्षी को।
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