agar newspaper nhi hota 100 words essay
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केवल भोजन, वस्त्र और घर तक उसकी आवश्यकताएँ सीमित नहीं है । आज समाचारपत्र आम व्यक्ति की दैनिक आवश्यकताओं का हिस्सा बन गए हैं । हममें से कई व्यक्तियों का दिन इसे पढ़ने से प्रारंभ होता है । समाचारपत्र के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
विभिन्न लोगों के लिए समाचारपत्र का अर्थ अलग-अलग है, क्योंकि समाज में भिन्न-भिन्न रुचियों और पसंदों वाले व्यक्ति रहते हैं । इस प्रकार समाचारपत्रों के उपलब्ध न होने पर इन विभिन्न रुचियों वाले लोगों पर प्रभाव भी भिन्न-भिन्न पड़ेगा । शिक्षित लोग समसामयिक घटनाओं की सूचनाओं की कमी को महसूस करेंगे ।
कई भ्रष्ट राजनीतिज्ञों और क्षेत्रीय नेताओं के लिए तो यह एक सुअवसर होगा । खेल-जगत की सूचनाओं तथा नए कीर्तिमानों को चाहने वालों का मनोरंजन नहीं हो सकेगा । समाचारपत्रों में प्रकाशित खेल पहेलियों, हास्य क्षणिकाओं, सिनेमा जगत की खट्ठी-मीठी खबरों के बिना कुछ लोग सूना-सूना महसूस करेंगे ।
समाचारपत्रों में प्रकाशित व्यापार और जीविका संबंधी विज्ञापनों के अभाव से इन क्षेत्रों को भारी धक्का पहुँचेगा । जन संचार के अन्य साधन जैसे रेडियों, टेलीविजन और सिनेमा आदि एक सीमा तक ही सूचनाएँ प्रदान कर सकते है । समाचारपत्र जैसा सस्ता सूचना-माध्यम और कोई नही है ।
आज कई ऐसे अवसर होते है जबकि पत्रकारों या मुद्रणालयों की हड़ताल के कारण हमें अपने प्रिय दैनिकों की अनुपस्थिति में दिन बिताना पड़ता है । यदि एक पत्र नहीं मिलता तो हम दूसरे समाचारपत्र को लेने के लिए भागते हैं । कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, आग, भूकम्प अथवा साम्प्रदायिक दंगों की स्थिति में हमें समाचारपत्रों का ध्यान भी नहीं आता है । कभी दैनिक कार्यक्रम में फेर बदल होने, बीमारी या यात्रा के कारण हम समाचारपत्र पढ़ने के अपने नियमित कार्यक्रम को स्थगित कर देते हैं ।
अधिकांशत: सभी व्यक्तियों के लिए समाचारपत्र आवश्यकता ही नही बल्कि हमारी मुख्य प्रवृति और जीवन का अंग बन गए हैं । तथापि कुछ ऐसे अशिक्षित लोग भी विद्यमान हैं, जिनके लिए समाचारपत्र होना या न होना बराबर ही है । क्या हमारे पूर्वजों का समाचारपत्र रहित जीवन कहीं अधिक सुखी और शांतिपूर्ण नहीं था?
To google to hai hi ........
mai nai newspaper ki Aik line b nhi pdi kbi ...
apni lyf mai kya km problems hai jo dosron ki pdnai pr aur depress krai khud ko ...
newspaper mai hota hi kya hai yaan to kisi ki death ki khbar yaa phir kisi k achievements ki dono sai depress hi hoti houn mai ...
koie aacha kaam to kiya nhi to hell mai janai ka depression...
aur achievements pai parents ka lecture...uffff ..