agar ped na hitw to essay hindi
Answers
किसान खेत में थक जाए तो,
छाँव देने वाला पेड़
स्वच्छ हवा में साँस जो ली,
उस साँस को देने वाला पेड़
मीठे-मीठे फल जो दे,
कौन है वो, है वो पेड़
ठंड लगी तो आग जलाई,
उस लकड़ी को देने वाला पेड़
चिड़िया चूँ-चूँ अंडे दे,
शाखा किसकी? है वो पेड़
शेर, हाथी, जंगल में रहते,
जंगल जो बनाए, वो हैं पेड़
किताब उठाई, की पढ़ाई
उस किताब को देने वाला पेड़
पेंसिल रबड़ कुर्सी मेज़
इन सब को देने वाला पेड़
मिट्टी का कटाव जो रोके
'ग्लोबल वार्मिंग' से बचाने वाला पेड़!
मेरी कविता सुनकर शायद आपको ऐहसास हो गया होगा कि पेड़ हमारे जीवन में कितने ज़रूरी हैं |लेकिन क्या आपने कभी रुकके सोचा है कि अगर पेड़ नहीं होते तो क्या होता? नहीं ना? हमें पेड़ों से मिलने वाली चीज़ों की इतनी आदत हो गई है कि हम मुड़के देखते नहीं कि पेड़ों का क्या हो रहा है!
आओ कुछ देर के लिए सोचें एक ऐसी दुनिया के बारे में जहाँ पेड़ नहीं हैं... अरे यह क्या? मुझे कुछ नज़र नहीं आ रहा...| सारे लोग कहाँ हैं? पक्षी कहाँ हैं? क्या दुनिया ख़त्म हो गई? शायद हाँ !मुझे डर लग रहा है| जो मैंने अभी देखा, वो बहुत डरावना था! कैसे हुआ यह सब? शायद मुझे पता है... जब लोग पेड़ काटकर ऊंची ऊंची इमारतें बना रहे थे, पेड़ कटके ढेर सारा फर्नीचर, खूब सारा कागज़ इस्तेमाल हो रहा था, धीरे-धीरे पेड़ कम हो रहे थे, धरती पर ऑक्सीजन घट रहा था, जंगल कम हो रहे थे तो जानवर भी कम हो रहे थे, और इंसान भी नहीं बचे - सब ख़त्म हो गया | हाँ | यही दृश्य मैंने अभी देखा | पेड़ों ने हमारी बहुत ज़रूरतों को पूरा किया है | अब जब उन्हें हमारी ज़रुरत है, तो हमें भी हाथ बढ़ाना चाहिए और पेड़ों से बनी चीज़ो का समझदारी से इस्तेमाल करना चाहिए | मैनें एक बात सुनी है - नया पेड़ उगाने का सबसे अच्छा समय २० साल पहले था पर उससे अच्छा समय है अब!
आखिर में मैं यही कहना चाहूंगी -
ज़िन्दगी देने वाला पेड़,
ज़िन्दगी बचाने वाला पेड़,
मगर पेड़ को कौन बचाएगा?
हम! हम और सिर्फ़ हम!
धन्यवाद
पेड़-पौधों के बिना जीवन की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती। सोचने में ही भय की अनुभूति होती है कि यदि पेड़ पौधे न हो तो हम सब सांस कहां से ले। मंगल सिंह मेमोरियल युवा कल्याण समिति द्वारा नेहरू युवा केंद्र के सहयोग से ग्राम पंचायत अटवा विकास खंड हरियावां में पौधरोपण कार्यक्रम अभियान के आयोजन की शुरुआत करते हुए युवा केंद्र के लेखाकार दिनेश मणि ओझा ने यह बात कही। कहा कि प्रकृति का जब भी संतुलन बिगड़ा तो सुनामी और उत्तराखंड जैसी विपदाएं सामने आई और प्रकृति का संतुलन बनाए रखने को पेड़ पौधों का होना अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पेड़ पौधे वाह्य रूप से तो हम छाया व फल आदि देते ही हैं, इसके अलावा आंतरिक रूप से हमारे जीवन को जरूरी बहुमूल्य सांसे भी प्रदान करते हैं।इसलिए जीवन के लिए हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि कम से कम एक पौधा समय समय पर रोपित करते रहे। समिति अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि पर्यावरण की यदि बात करें तो अब संतुलन बिगड़ता जा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा, तो प्रदूषित पर्यावरण के दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। उत्तराखंड की विपदा और सुनामी इसका उदाहरण है। कहना गलत न होगा कि यदि अब भी हम सब न चेते तो आने वाला समय हम सभी के लिए काल बनकर आएगा। इस दौरान छायादार, फलदार व औषधीय पौधों का रोपण किया गया। बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए। इस मौके पर रामसरन गुप्ता, हंसराज, अकील अहमद, मनोहरी आदि मौजूद थे।