अगर आप भगवान् या ख़ुदा को मानती/ते हैं तो क्यों कभी किसी को मुक़म्मल जहाँ नहीं मिलता?
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ख़ुदा या भगवान में आस्था का उद्देश्य मुक़म्मल जहाँ की ख्वाहिश नहीं है। मन की शान्ति और अपने साध्य के लिए निरन्तर प्रेरित रहना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। साध्य व्यक्ति की प्राथमिकता और परिस्थिति के अनुसार परिवर्तन शील है।
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