History, asked by 7053318360, 1 month ago

अगर आप किसी हंसी आई समुदाय का हिस्सा होते तो आप अपनी संस्कृति की विशेषताओं की रक्षा किस प्रकार करते हैं​

Answers

Answered by ηιѕн
0

समानता एक मूल्य भी है और अधिकार भी इसे हमने सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन किताब को श्रृंखला में समझने का प्रयास किया है। इन सालों के दौरान हमने समानता की अवधारणात्मक समझदारी को और पुख्ता बनाया है। हमने औपचारिक समानता और वस्तुगत समानता के बीच फर्क स्पष्ट करते हुए वस्तुगत समानता की दिशा में बढ़ने की जरूरत को समझा है। कक्षा 7 की पुस्तक में दी गई कांता की कहानी इस बात का उदाहरण है। हमने इस बात को भी रेखांकित किया कि समानता को समझने के लिए असमानता के अनुभव और उसको अभिव्यक्ति पर ध्यान देना भी जरूरी होता है। इस प्रकार हमने डॉ. अम्बेडकर और ओमप्रकाश वाल्मिकी के बचपन के अनुभवों के माध्यम से भेदभाव और असमानता के आपसी संबंधों की पड़ताल की है। संसाधनों तक पहुँच असमानता के कारण किस तरह प्रभावित होती है. इस बात की हमने शिक्षा तक महिलाओं की पहुँच के उदाहरण से समझने का प्रयास किया है। रसमुंदरी देवी और रुकैया बेगम के लेखन से हमें अंदाज़ा मिलता है कि इस अवरोध को दूर करने के लिए औरतें किस तरह संघर्ष करती हैं। हमने संविधान में दिए गए मूल अधिकारों का बार-बार जिक्र किया है। इनके माध्यम से हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि समानता तथा प्रतिष्ठा का विचार भारत में लोकतंत्र के संचालन के लिए महत्त्वपूर्ण है।

इस इकाई में हाशियाकरण या मुख्यधारा से अलग-थलग पड़ जाने की अवधारणा के जरिए इस बात पर और बारीकी से ध्यान दिया गया है कि असमानता से विभिन्न समूहों और समुदायों पर किस तरह के असर पड़ते हैं। इस इकाई में आदिवासी, मुसलमान और दलित, इन तीन समूहों पर खास ध्यान दिया गया है। इन तीन समूहों को इसलिए चुना गया क्योंकि इन तीनों समूहों के हाशियाकरण के कारण अलग-अलग है और कई बार उन्हें यह हाशियाकरण अलग-अलग रूपों में अनुभव होता है। इस इकाई को पढ़ाते हुए यह चेष्टा होनी चाहिए कि विद्यार्थियों को उन कारकों को पहचानने में मदद मिले जो हाशियाकरण को बढ़ाने में योगदान देते हैं। साथ ही विद्यार्थियों को हाशिये पर डाल दिए गए तबकों को पहचानने और उनके दर्द को समझने के भी योग्य बनाया जाना चाहिए। आपको चाहिए कि आप बच्चों को अपने इलाके में इन हाशियाई समुदायों को पहचानने में मदद दें। अध्याय 7 में हम आदिवासी और मुसलिम समुदायों के अनुभवों पर ध्यान देंगे। अध्याय 8 में इस बात पर चर्चा की गई है कि सरकार और स्वयं इन समुदायों ने विभिन्न संघर्षों के जरिए अपने हाशियाकरण को दूर करने के लिए किस तरह कोशिशें की हैं। सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए कानून बनाती है और इन समुदायों को लाभ पहुँचाने के लिए कई नीतियाँ और योजनाएं लागू करती है।

इस इकाई में हमने आँकड़ों, कविताओं, चित्रकथा-पट्ट केस स्टडी इत्यादि कई तरह के शैक्षणिक साधनों का इस्तेमाल किया है। आदिवासी अपने जीवन में हाशियाकरण की प्रक्रियाओं को किस तरह महसूस करते हैं. इस पर चर्चा करने के लिए चित्रकथा-पट्ट का इस्तेमाल करें। दलितों से संबंधित केस स्टडी के सहारे आप इस कानून की अहमियत पर चर्चा कर सकते हैं और यह देख सकते हैं कि इस कानून से मौलिक अधिकारों के प्रति संविधान की प्रतिबद्धता किस तरह प्रतिबिंबित होती है। मुसलिम समुदाय की स्थिति को समझने के लिए हमने आँकड़ों एक चिट्ठी और एक केस स्टडी का इस्तेमाल किया है जिनका कक्षा में विश्लेषण किया जा सकता है। इस इकाई में समाजविज्ञान और भाषा की पाठ्यपुस्तकों के बीच खिची विभाजन रेखाओं को तोड़ने के लिए गीतों और कविताओं का इस्तेमाल किया गया है। इस बहाने हम यह भी कहना चाहते हैं कि विभिन्न समुदायों की रोजाना की जिंदगी में इस तरह का फ़र्क नहीं होता। वैसे भी न्याय के संघर्ष

ने ऐसे अनेक अविस्मरणीय गीतों और कविताओं को जन्म दिया है जिन्हें पाठ्यपुस्तकों में प्रायः जगह नहीं मिल पाती। इस अध्याय में कई ऐसे मुद्दे हैं जो कक्षा के भीतर तीखी बहस खड़ी कर सकते हैं। बच्चे इन मुद्दों से अवगत भी हैं। लिहाजा हमें इन बातों पर चर्चा करने के परिपक्व और संतुलित रास्ते ढूँढने होंगे। आपको यह सुनिश्चित करने के लिए इन चर्चाओं में अहम भूमिका निभानी है कि कोई भी बच्चा या बच्चों का समूह भेदभाव का शिकार महसूस न करे, किसी को मजाक का पात्र बनने या चर्चाओं में अप्रासंगिक हो जाने का बोध न हो।

Answered by Simi011
0

Answer:

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र स्वरूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने के स्वरूप में अन्तर्निहित होता है।[1]यह ‘कृ’ (करना) धातु से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ की मूल स्थिति,यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है। अंग्रेजी में संस्कृति के लिये 'कल्चर' शब्द प्रयोग किया जाता है जो लैटिन भाषा के ‘कल्ट या कल्टस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोतना, विकसित करना या परिष्कृत करना और पूजा करना। संक्षेप में, किसी वस्तु को यहाँ तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सके। यह ठीक उसी तरह है जैसे संस्कृत भाषा का शब्द ‘संस्कृति’।संस्कृति का शब्दार्थ है - उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है। सभ्यता संस्कृति का अंग है। सभ्यता (Civilization) से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति (Culture) से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है।

Similar questions