अगर भारत लोकतंत्र नहीं अपना तो क्या हुआ होता उत्तर दीजिए पूरा
Answers
Answer:
लोकतंत्र को पश्चिम में दुनिया की बेहतरी का सर्वोत्तम विकल्प बताया जाता है, लेकिन वास्तव में लोकतंत्र की राजनीतिक और व्यक्तिगत आज़ादी की ताक़त को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है.
प्रमुख पश्चिमी देश लोकतंत्र को राजनीतिक संघर्षों का समाधान मानने की मान्यता पर काम करते हैं. उनकी विदेश नीति का अंतिम लक्ष्य उन देशों में लोकतंत्र की स्थापना को बढ़ावा देना होता है, जिन्होंने लोकतंत्र के फ़ायदों का लाभ नहीं उठाया.
वे मध्यपूर्व की स्थितियां जानने के बावजूद लोकतंत्र की मान्यता से चिपके हुए हैं. हम इसके साथ सहानुभूति जता सकते हैं.
लोकतांत्रिक देश सामान्य तौर पर एक-दूसरे से युद्ध नहीं करते, अपनी सीमाओं के भीतर भी गृहयुद्ध जैसी स्थितियों का सामना नहीं करते.
जहां लोग अपनी मर्ज़ी से सरकार चुन सकते हैं, ऐसे माहौल में सुरक्षा एक मूल्य की तरह होती है और संघर्ष अराजक स्थिति में नहीं पहुंचता. वहां अलोकप्रिय सरकारों को नकार दिया जाता है और कोई हिंसा नहीं होती.