अगर भारत में लोकतंत्र नहीं होता तो उसकी शासन व्यवस्था कैसी होती?
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लोकतंत्र आम लोगों की भलाई का मनोरथ रखता है - लोकतंत्र लोगों का, लोगों द्वारा और लोगों के लिए शासन है। लोकतंत्र में, प्रभुसत्ता लोगों के हाथों में होती है। इसलिए जनता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खुद ही शासक होती है। लोकतंत्र का मुख्य उद्देश्य संपूर्ण जनता की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रगति है।लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती के कई उदाहरण हो सकते हैं, जैसे कि स्थानीय स्वशाषी निकायों को अधिक शक्ति प्रदान करना, संघ के हर इकाई को संघवाद के प्रभाव में लाना, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा से जोड़ना, आदि।
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