अगर फैराडे के प्रयोग में चुंबक को कुंडली के समीप ले जाने के बजाय कुंडली को चुंबक की तरफ ले जाया जाए तो भी क्या कोई चुंबक प्रेरित होगी स्पष्ट कीजिए
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यह भी देखा गया है कि यदि दंड चुंबक को स्थिर रखा जाए तथा इसके बजाय कुंडली C, को चुंबक की ओर या इससे दूर गतिमान किया जाए तो भी इसी प्रकार का प्रभाव उत्पन्न होता है। यह दर्शाता है कि कुंडली में विद्युत धारा की उत्पत्ति (प्रेरण) चुंबक तथा कुंडली के मध्य सापेक्ष गति का प्रतिफल है। दूसरे परिपथ में धारा प्रेरित करती है।
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