अगर इंटरनेट न होता तो क्या होता essay in Hindi
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अगर इन्टरनेट न होता, तो मुझे लगता है कि मैं खुद में बहुत ही असुरक्षित महसूस करती। इस बात से आप कोई अन्य अर्थ न निकालें – यहाँ मेरी बात में ज़्यादा ज़ोर 'असुरक्षित' से अधिक 'बहुत ही' पर है। इसी बात को दुसरे पहलु से देखें तो इसका अर्थ यह निकलता है कि इन्टरनेट के होने कि वजह से मैं बिलकुल सुरक्षित और सहज महसूस करती हूँ।
अगर इन्टरनेट न होता, तो मुझे लगता है कि मैं खुद में बहुत ही असुरक्षित महसूस करती।
अगर इन्टरनेट न होता, तो मुझे लगता है कि मैं खुद में बहुत ही असुरक्षित महसूस करती।इस बात से आप कोई अन्य अर्थ न निकालें – यहाँ मेरी बात में ज़्यादा ज़ोर ‘असुरक्षित’ से अधिक ‘बहुत ही’ पर है। इसी बात को दुसरे पहलु से देखें तो इसका अर्थ यह निकलता है कि इन्टरनेट के होने कि वजह से मैं बिलकुल सुरक्षित और सहज महसूस करती हूँ।
अगर इन्टरनेट न होता, तो मुझे लगता है कि मैं खुद में बहुत ही असुरक्षित महसूस करती।इस बात से आप कोई अन्य अर्थ न निकालें – यहाँ मेरी बात में ज़्यादा ज़ोर ‘असुरक्षित’ से अधिक ‘बहुत ही’ पर है। इसी बात को दुसरे पहलु से देखें तो इसका अर्थ यह निकलता है कि इन्टरनेट के होने कि वजह से मैं बिलकुल सुरक्षित और सहज महसूस करती हूँ।यह वक्तव्य वास्तविकता से इतना परे है (यहाँ ‘परे’ पर ज़ोर दिया गया है) कि यह मज़ाक ही लगता है। मज़ाक भी ऐसा जिसे कहने पर हम शर्मिंदा तो होते हैं लेकिन ऐसा दिखाते हैं मानो कुछ न हुआ हो। यह कुछ ऐसा ही है जैसे आप सिगरेट पीने के लिए बाहर निकलें और दुसरे विभाग में काम करने वाले अपने किसी सहयोगी से टकरा जाएँ। आप शर्मिंदा होते हुए भी जताते हैं मानो कुछ न हुआ हो।