अगर कोई अधिकारी भ्रष्टाचार करता है और अपना जुल्म नहीं कुबूलता है तो उस मुकदमा का किस न्यायालय में सुनवाई होगी?
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भ्रष्टाचार से संबंधित कोई मामला दिखे तो सीबीआई को इस मामले में सीधे शिकायत की जा सकती है। सीबीआई करप्शन के केस में शिकायत पर सीधे कार्रवाई कर सकती है और इसके लिए स्टेट या सेंटर की इजाजत की जरूरत नहीं है। राजेश चौधरी की रिपोर्ट:
सीबीआई की ताकत
सीबीआई का गठन दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत किया गया। सीबीआई को यह अधिकार दिया गया कि वह केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित मामलों की छानबीन करेगी। लेकिन राज्य सरकार की इजाजत से राज्य में भी छानबीन का अधिकार दिया गया। करप्शन के मामलों की छानबीन का अधिकार भी दिया गया। इसके तहत सीबीआई सीधे करप्शन के केस में छानबीन कर सकती है और केस दर्ज कर सकती है।
सिर्फ सरकारी अधिकारी की जांच!
सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर जोगेंद्र सिंह ने बताया कि किसी भी शख्स को अगर यह जानकारी मिलती है कि किसी सरकारी विभाग में करप्शन है या फिर किसी जगह पर रिश्वतखोरी हो रही है तो वह इस बारे में सीबीआई को शिकायत कर सकता है। दिल्ली में सीबीआई के हेड क्वार्टर में एसपी सीबीआई एंटी करप्शन ब्रांच को शिकायत दी जा सकती है। शिकायत के पक्ष में सबूत देने होते हैं। सीबीआई को अगर लगता है कि सबूत पुख्ता है या फिर छानबीन की जरूरत है तो सीबीआई प्रारंभिक जांच (पीई) करती है। पुख्ता सबूत जुटाने के बाद सीबीआई एफआईआर दर्ज करती है। कानून के मुताबिक करप्शन के केस में आरोपी सरकारी अधिकारी होना चाहिए। किसी प्राइवेट शख्स के खिलाफ शिकायत है तो उसका संबंध सरकारी अधिकारी से होना चाहिए तभी सीबीआई केस दर्ज करती है।