Hindi, asked by amanrao8171, 1 year ago

'अगर मैं पक्षी होता तो' के उपर 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखें।

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Answered by rishilaugh
233

Answer:

 अगर मैं पंछी होता

अगर मैं पक्षी होता तो मैं दूर अनंत गगन में स्वच्छंद होकर विचरण करता। मैं धरती के इस छोर से धरती के दूसरे छोर को अपने पंखों से नाप लेता। मैं इस पूरी दुनिया को अपनी नजरों में कैद कर लेना की कामना रखता।  

अगर मैं पंछी होता तो आसमान की ऊंचाइयों को छूने की कोशिश करता। मैं उन ऊंचाइयों को छूने की कोशिश करता जहां तक पहुंचने का सपना इंसान लोग केवल देखते रह जाते हैं। मैं खुली हवा में अपने पंखों को फहरा कर ठंडी हवा का आनंद लेता। अपने साथी पक्षियों के साथ झुंड बनाकर इधर से उधर विचरण करता। पल भर में मैं जहां जाना चाहता वहां जाता।

अगर मैं पंछी होता तो मैं कभी किसी पहाड़ की चोटी पर उन्मुक्त होकर पहुंच जाता तो कभी किसी पेड़ की डाली पर मस्त होकर झूलता। यदि मेरा मन होता तो मैं समुद्र की सीमा को अपने पंखों से नापने की कोशिश करता तो कभी पर्वत की ऊंचाइयों को अपने पंखों से नापने की कोशिश करता।

अगर मैं पक्षी होता तो मैं पेड़ पर बैठकर अपनी आवाज में सुंदर से गीत गाता मदमस्त होकर सारी ऋतुओं का आनंद लेता। मेरे अंदर इंसानों की तरह छल-कपट, तनाव-चिंता लालच-मोह नहीं होता। मुझे तो बस इस जग में व्याप्त आनंद को डूब जाने की कामना होती।

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Answered by malaSingh99
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Answer:

प्रस्तावना:

इंसान या यूं कहें कि मनुष्य की अनेकों चाहते होती है, ख्वाहिशें होती है, ढेरों तमन्नाए दिल में रखकर वह जिंदगी जी रहा होता है। वह कहते हैं ना कि हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी बहुत कम निकले !!!

तो इन्हीं सब इच्छाओं में से व्यक्ति की एक इच्छा होती है पक्षी बनने की, परिंदा बनने की; जी हां बिलकुल हर एक व्यक्ति अपने जीवन में जरूर एक ना एक बार तो यह विचार मन में लाता ही है कि काश वह एक पक्षी होता। अगर वह एक परिंदा होता तो जीवन कैसा होता !!??

अगर मैं एक पक्षी होता तो

तो आइए आज इस भाव के बारे में मंथन करते हैं, विचार करते हैं। अगर मनुष्य पक्षी होता तो बस बेपरवाह आजाद सा होकर आसमान में उड़ता रहता, फिर तो किसी भी वस्तु, व्यक्ति, विचार, आडंबर, समाज की परवाह ना होती, ज़रा भी फिकर ना होती, ना ही बंधनों में बंधना पड़ता, बंधन जो बेवजह मनुष्य को पूरे जीवन रोक कर रखते हैं।

मनुष्य पक्षी होता तो बिना किसी रोक टोक कहीं भी आ जा सकता, फिर ना किसी टिकट की आवश्यकता होती ना किसी वीजा की, ना ही किसी की अनुमति की आवश्यकता होती, फिर सरहदों के झगड़े भी ना होते ना ही राज्य या क्षेत्र को लेकर बेवजह की अनबन।

मनुष्य अगर पक्षी होता तो उन सभी बोझों को नीचे फेंक देता जो मनुष्य की कमर पर लदे रहते हैं, जैसे ईर्ष्या, दूसरों से तुलना, मन में घृणा, लालच, बेइमानी, धोखा, झूठ, फरेब, दिखावा, नाम की इज्जत, अव्वल होने की होड़ आदि ।

मनुष्य सारी जिंदगी बस इन्हीं कुछ भावो में फंसकर, उलझ कर गुजार देता है। इन सब से ऊपर उठने की कोशिश भी नहीं कर पाता है। सारा जीवन बस झूठी शान और शौकत, नाम की इज्जत के लिए अपने अस्तित्व का गला दबाता रहता है, अपनी इच्छाओं पर मिट्टी डालता रहता है, यह सब करते हुए वह अपने आप को स्वयं कष्ट पहुंचा रहा होता है और जब वक्त निकल जाता है तब फिक्र में भूनकर शरीर में ढेरों बीमारियां घर कर लेती है।

फिर ना मनुष्य के पास समय बचता है, ना पर्याप्त ऊर्जा और ना ही सेहत फिर जो बचता है वह होता है बस बहुत सारा पश्चाताप। अगर मनुष्य पक्षी होता तो दिखावे की इज्जत में पड़ कर दूसरे इंसान की जान भी ना लेता, दूसरे से झगड़ा भी ना करता ना ही किसी और को परेशान करता।

बस उस खुले आसमान की सैर होती, अपने मजबूत पंखों से वह पंख जो बस उड़ना जानते हैं, बस हमेशा से उड़ना जानते हैं। आजादी ही आजादी होती, केवल स्वतंत्रता और स्वतंत्रता से ही जुड़ा है प्रेमभाव, क्योंकि जिसे भी आप प्रेम करते हैं उसको बांधकर रखने में प्रेम खत्म होगा, तो खुला छोड़ दीजिए, उड़ने दीजिए, पंख फैलाने दीजिए और बस देखिए उस खूबसूरती से, मजबूती से उड़ते हुए पक्षी को।

आसमान की जब सैर होगी तो मन होगा कि आकाश को नापा जाए, कितना विशालकाय है, कितना बड़ा कितना फैला हुआ और हम लोग मनुष्य होते हुए अपनी सोच इतनी छोटी रखते हैं । किसी को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख पाते हैं, मन में कुंठा पालते हैं, लालच रखते है।

फिर उड़ते वक्त पेड़ों पर नजर जाएगी और उन पेड़ों पर होगा एक छोटा खूबसूरत नरम घोसला जिसमें परिवार होगा, बिल्कुल!! पक्षी पति पत्नी और बच्चे, परंतु मानवीय तुच्छ भावों से पवित्र।

आसमान में उड़ान के वक्त कितना हल्का महसूस होगा, किसी भी प्रकार का बोझ नहीं, उड़ते वक्त हवा परो से टकराएगी और यह खुली हवा, आजाद हवा की ठंडक का एहसास !! इसका तो कोई मूल्य ही नहीं है, अमूल्य है यह!!!

उड़ते वक्त बस इसी बात की सोच के ऊपर उड़ना है और ऊपर, आकाश में और ऊपर। यह सब एहसास मनुष्य योनि में रहकर तो संभव ही नहीं है क्योंकि मनुष्य ने तो अपने आपको इतना उलझा रखा है कि उड़ना तो दूर की बात है, वह खुल कर सांस भी नहीं ले पाता है।

मनुष्य अपने ही बनाए हुए पिंजरे में कैद है, परन्तु साथ ही साथ आजाद भी होना चाहता है, पर वह बहुत अच्छे से जानता है कि आजाद होना नामुमकिन है इसलिए वह हमेशा ही मन में पक्षी होने की इच्छा रखता है क्योंकि मनुष्य से अच्छा कोई नहीं जानता आजादी का मतलब !! आडंबर के पिंजरे में बंद मानव को स्वतंत्रता का हमेशा से ही लालच रहा है, इसलिए उसे आजादी हमेशा से ही महत्वपूर्ण लगी है।

यदि मैं पक्षी होता तो अपने पंख फैलाकर खुले आसमान में उड़ता। पक्षी सभी प्राणियों में सबसे कोमल और भोले होते है। आसमान में चहचहाते हुए पक्षियों को देखकर मन खुश हो जाता है। ऐसा लगता है बस उनके जैसे पंख फैलाकर आसमान में उड़ जाऊं।

पक्षिओं का जीवन इतना सरल नहीं होता है। हर समय एक भय सताता है कि कोई उन्हें पकड़ ना ले और उन्हें पिंजरे में बंद ना कर दे। जब पक्षी छोटा होता है तब उसकी माँ उसे दाना देती है, लेकिन उसे धीरे धीरे उड़ना उसकी माँ सीखाती है। जब वह यह सारे कार्य करने में सक्षम हो जाता है तो उसे उसका जीवन स्वयं जीना पड़ता है।

सभी सुन्दर और प्यारे पक्षियों को देखकर सभी को ऐसा लगता है की काश मैं एक पक्षी होता और मेरी कोई सीमाएं ना होती। मैं चाहता हूँ कि पक्षी बनकर आसमान में मौजूद बादलो को छू सकूँ।

यदि मैं एक पंछी होता तो मैं गगन में उड़कर बादलो के बीच खेलता, ठंडी हवा का मज़ा लेता। हमे आये दिन यातायात के साधनो का उपयोग करना पड़ता है, यदि मैं पक्षी होता तो एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से पहुँच जाता।

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