(अगर मैं पक्षी होता तो) निबंध लेखन
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यदि मै पक्षी होता तो स्वतंत्रतापूर्वक अपना जीवन यापन करता | धरती का हर कोना , आकाश की समस्त दूरियाँ और क्षितिज सब मेरे होते | मै सुबह से शाम यत्र तत्र भ्रमण करता | हरे-भरे पहाड़ो पर यात्रा करता ,ऊँचे ऊँचे वृक्षों पर अपने घोंसले बनाता , बहते हुए झरनों , कल-कल करती नदियों का जल पीता | प्रकृति की उस सुन्दरता का आनन्द लेता जिसका दर्शन भी मनुष्य नही कर पाया है या जहां उसका हस्तक्षेप नही हुआ है |
पहाडी क्षेत्रो के स्वच्छ वातावरण में निवास करते हुए मै निवास करते हुए मै अपना जीवन सुखपूर्वक बिताता | उड़ते-उड़ते चाहे मै कितना ही क्यों न थक जाता , पर मै सदा अपने पंख पसार यहाँ वहां उड़ता रहता | गहरी खाइयो को पार करके कल-कल करती बलखाती नदियों के शीतल जल में स्नान करने का सुख ही अद्भुत है | शीतल जल में डुबकी लगाकर मै पंख फडफड़ाकर उड़ जाता |
यदि मैं पक्षी होता तो अन्य पक्षियों के साथ मिल जुलकर जीवन यापन करता | मनुष्य आज मनुष्य के ही विनाश के साधन बटोर रहा है | व्यक्ति ही व्यक्ति के दुःख दर्द में कान नही आते , पर यदि मै पक्षी होता तो मेरी एक आवाज पर मेरे कितने ही साथी जमा हो जाते | उनके एकत्र होने का विचार ही मुझे मानसिक आह्लाद प्रदान करता है | अपने साथियों के साथ पेड़ो की डालो पर खेलने का आनन्द ही निराला होता | हम साथ साथ अपनी पसंद के वृक्षों पर घोंसले बनाते |
पक्षियों के सुंदर सुंदर घोसले मुझे सदा ही भाते रहे है | मै बयाँ पक्षी की तरह एक कलापूर्ण सुंदर घोंसला बनता | एक-एक घास का चुना हुआ तिनका अपनी नुकीली चोंच से इस प्रकार बुनता कि देखने वाले इस बारीकी को देखते ही रह जाते | पेड़ो पर लम्बे लटकते बया के घोसले मुझे सदैव आकर्षित करते रहे है | बस एक ऐसा ही कोई क्क्ष्व वाला घोंसला मै भी तैयार करता |