अगर निर्वाचित प्रतिनिधियों की शक्ति पर कोई अंकुश ना होता तो क्या होता
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प्रजातांत्रिक देश में सरकार निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा चलती है। भारत में वैधानिक एवं कार्यकारी शक्तियां लोगों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों में निहित है। यह बहुत आवश्यक है कि निर्वाचित प्रतिनिधि लोगों की सेवा के लिए शक्तियों का प्रयोग करें । उन्हें अपनी शक्तियों का प्रयोग संविधान के प्रावधानों के अनुसार करना चाहिए । निर्वाचित प्रतिनिधियों पर कुछ संवैधानिक एवं कानूनी प्रतिबंध होने चाहिए । यदि उन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा , तब वे शक्तियों का अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए दुरुपयोग करेंगे तथा लोगों की सेवा नहीं करेंगे। संविधान कई प्रकार से निर्वाचित प्रतिनिधियों को नियंत्रित करता है । सामान्य तौर पर नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करके निर्वाचित प्रतिनिधियों की शक्तियों को सीमित कर दिया जाता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
नीचे दिए गए बाएँ कॉलम में भारतीय संविधान के मुख्य आयामों की सूची दी गई है। दूसरे कॉलम में प्रत्येक आयाम् के सामने दो वाक्यों में लिखिए कि आपकी राय में यह आयाम क्यों महत्त्वपूर्ण है
मुख्य आयाम महत्व संघवाद
शक्तियों का बँटवारा मौलिक अधिकार
संसदीय शासन पद्धति
brainly.in/question/11143291
नीचे दिए गए दो दस्तावेजों के हिस्सों को देखिए। पहला कॉलम 1990 का नेपाल के संविधान का है। दूसरा कॉलम नेपाल के ताज़ा सवधान में से लिया गया है।
1990 का नेपाल का संविधान 2015 को नेपाल का संविधान भाग-7: कार्यपालिका भाग-7: संघीय कार्यपालिका
अनुच्छेद 35: कार्यकारी शक्तियाँ अनुच्छेद 75: कार्यकारी शक्तियाँ नेपाल अधिराज्य की कार्यकारी शक्तियाँ नेपाल की कार्यकारी शक्तियाँ, संविधान और
महामहिम नरेश एवं मंत्रिपरिषद् में निहित होंगी। कानून के अनुसार, मंत्रिपरिषद् में निहित होंगी।
नेपाल के इन दोनों संविधान में कार्यकारी शक्ति' के उपयोग में क्या फ़र्क दिखाई देता हैं? इस बात को ध्यान में रखते हुए क्या आपको लगता है कि नेपाल को एक नए संविधान की जरूरत है? क्यों