Hindi, asked by sri8570, 9 months ago

अगर पेड़ भी चलते होते
अगर पेड़ भी चलते होते,
कितने मज़े हमारे होते।
बाँध तने से उसके रस्सी,
जहाँ कहीं भी हम चल देते।
अगर कहीं पर धूप सताती,
उसके नीचे हम छिप जाता
भूख सताती अगर अचानक,
ताड़ मधुर फल उसके खात।
आती कीचड़ बाढ़ कहीं तो.
ऊपर उसके झट चढ़ जाते।
-दिविक रमेश​

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Answered by khushi9031
3

Answer:

what to do of this poem ?

Explanation:

what do you mean?

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