Hindi, asked by sardesatish, 1 month ago

अगर परिक्षाएँ न होती तो .... (हिंदी) निबंध​

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Answered by Anonymous
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Answered by PiyushSinghRajput1
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यदी परीक्षा ना होती तो।

✴️हम बच्चो कि कितनी मौज होती है, सुबह उठकर रोज के छोटे नियमित काम करके पाठशाला में जाना और शाम को जी भर के खेलना, फिर सोना। पर यह मौज ज्यादा दिन तक नहीं चल पाती क्योंकि बिच में आजाती है परीक्षाएं !।

✴️दिन अच्छे से बीत रहे होते है की एक दिन अचानक हेडमास्टर की नोटिस बिजली की तरह कड़क पड़ती है। इस तारीख से लेकर इस तारीख तक परीक्षा शुरू हो रही है, सभी विद्यार्थियों से निवेदन है कि पढाई करके अच्छे गुणों से उतिर्ण हो। यह परीक्षा का नाम सुनकर कितना खुस्सा अत्ता है पर हम क्या कर सकते है।

✴️हेडमास्टर से आई हुई इस नोटिस का हम बच्चो पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है। सभी दिनचर्या बदल जाती है, परीक्षा की तारीख आंखो के सामने नाचने लगती है। वर्ग मे गुरुजी के पाठ पर पूरा लक्ष केंद्रित करना पड़ता है, पाठशाला की रोजाना होने वाली मस्ती एकदम से बंद हो जती है। ऐसा लगता है जैसे सारे विषय आंखो के सामने नाच रहें है।

✴️गणित के नए नए उदाहरण, भूमिति के त्रिकोण, रसायन शास्त्र की प्राणवायु, अंग्रेजी के कभी ना समझ आने वाले पाठ और कभी ध्यान में ना रहने वाली इतिहास की तारीखें। यह सबकुछ पास होने केलिए याद करना पड़ता है। पूरा दिन पढ़ाई करने में बीत जाता है।

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