Hindi, asked by Komalbht5414, 10 months ago

अगर सागर न होता स्वमत दिजीये

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Answered by Anonymous
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समुद्रों के खारेपन की चर्चा के बगैर समुद्र का महत्व अधूरा रहेगा। यह सच है कि यदि समुद्र में पानी कम हो जाए, तो यही खारापन बढ़कर आसपास की इलाकों की ज़मीन बंजर बना दे; ऐसे इलाकों का भूजल पीने-पकाने लायक न बचे; लेकिन सच भी है कि समुद्री खारेपन का महत्व, इस नुकसान तुलना में कहीं ज्यादा फायदे की बात है। गर्म हवाएं हल्की होती हैं और ठंडी हवाएं भारी; कारण कि गर्म हवा का घनत्व कम होता है और ठंडी हवा का ज्यादा। यह बात हम सब जानते हैं। यही बात पानी के साथ है। जब समुद्र का पानी गर्म होकर ऊपर उठता है, तो उस स्थान विशेष के समुद्री जल की लवणता और आसपास के इलाके की लवणता में फर्क हो जाता है। इस अंतर के कारण ही समुद्र से उठे जल को गति मिलती है।


Anonymous: okk
Anonymous: tell now
Anonymous: tell
Anonymous: @nupur am committed soo sorry
Answered by dgmellekettil
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Answer:

समुद्र की अथाह गहराई और विशालता को देखकर मन में बहुत सारे प्रश्न आते हैं ,सागर नहीं होता तो क्या होता? सोचते-सोचते निष्कर्ष निकलता है, कि सबसे पहले सागर नहीं होता तो इस पृथ्वी पर बहुत बड़ा विद्युत संकट होता।

Explanation:

  1. सागर में उठने वाले ज्वार भाटा की ऊर्जा को हम टर्बाइन लगाकर विद्युत शक्ति में परिवर्तित करते हैं। सागर की दोनों अवस्था - (जब पानी ऊपर चढ़ता है और तब भी और जब पानी नीचे उतरता है तब भी) उसमें विद्युत शक्ति पैदा होती है।
  2. सागर में उठने वाले ज्वार भाटा की ऊर्जा को हम टर्बाइन लगाकर विद्युत शक्ति में परिवर्तित करते हैं। सागर की दोनों अवस्था - (जब पानी ऊपर चढ़ता है और तब भी और जब पानी नीचे उतरता है तब भी) उसमें विद्युत शक्ति पैदा होती है।
  3. सागर के तट के नजदीक जो विशाल तरंगे उठती है, उसकी गतिज ऊर्जा को भी विद्युत उत्पन्न करने के लिए ट्रेप किया जा सकता है। महासागरों के पृष्ठ पर वायु का जो तेज हवा का झोंका आर पार होकर बहने लगता है उससे तेज पवन से भी तरंग उत्पन्न होता है जिससे हम बिजली का निर्माण कर सकते हैं।
  4. सागर के जल में सब मिलाकर 19 तरह के भिन्न-भिन्न तत्व विद्यमान हैं, जिनमें क्षार या नमक प्रधान है। इस पृथ्वी पर सागर के कारण नमक की कमी नहीं है।
  5. जैसा कि हम जानते हैं यह अथाह सागर बारिश और सूखे को भी नियंत्रित करता है ।जैसे कि हम मान लेते हैं नदियां जो है बहुत जल से प्लावित होने लगती है तो अपने जल को समुद्र में छोड़ती है और जब समुद्र में जल भर जाता है तो वह महासागर में छोड़ती है इस तरह संतुलन का कार्य चलता रहता है।
  6. विज्ञान भविष्य में पानी की कमी को समुद्र से पूरा कर सकता है। अगर समुद्र में जो क्षारीय गुण है उसका कोई निष्कर्ष वैज्ञानिकों को मिल जाता है, तो पृथ्वी पर कभी सूखा का प्रहार नहीं होगा ।यह सागर है तो हम ऐसी कल्पना कर सकते हैं।
  7. यह करोड़ों वर्षों पुराना सागर पूरी पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए हैं ,अर्थात् धरती के चारो और समुद्र का पानी है ।जिन्हें 5 भागों में विभक्त किया जाता है। प्रत्येक भाग सागर या महासागर कहलाता है।
  8. अध्यात्म की दृष्टि से सोचे, या पौराणिक कथाओं पर विचार करें , तो समुद्र से इस पृथ्वी को बहुत सारे रत्नों की प्राप्ति हुई है। जिसे हम प्रयोग करते हैं ।अमृत और विष का भी प्राप्ति समुद्र से ही हुआ है।बिना समुद्र के हमारे जीवन की कल्पना बहुत ही मुश्किल है।
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