Hindi, asked by Noorsaini, 4 months ago

अगरबत्ती बनाना, माचिस बनाना, मोमबत्ती बनाना, लिफाफे बनाना, पापड़ बनाना, मसाले
कूटना आदि में से किन्हीं दो लघु उद्योगों के बारे में जानकारी इकट्ठा कीजिए। चार्ट पर प्रस्तुत
कीजिए।​

Answers

Answered by ushajosyula96
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अगरबत्ती:-

अगरबत्ती का स्वरोजगार आजकल खूब फल-फूल रहा है। यह वह उद्योग है, जिसको

अधिकतर महिलाएं चलाती हैं। ऐसी महिलाओं की तादाद सबसे ज्यादा है, जो शादी

के बाद अगरबत्ती का व्यवसाय घर से शुरू कर रही हैं। अगरबत्ती की जरूरत हर

घर में होती है। घर को सुगंधित करना हो या फिर भगवान की पूज करने के लिए

अगरबत्ती की आवश्यकता पड़ती है। घर बैठी महिलाओं के लिए यह स्वरोजगार अब

कमाई का उम्दा जरिया बन चुका है, क्योंकि अगरबत्ती का जो पैकेट चार साल

पहले तक महज 2 से 5 रु. के बीच दुकानों से उपलब्ध होता था, वह अब 20 से

25 रु. का मुहैया हो रहा है। यही नहीं, इन पैकेटों की कई वराइटी होती

हैं, जिनकी कीमत सौ रुपये तक भी होती है

अगरबत्ती का उपयोग लगभग प्रत्येक भारतीय घर, दुकान तथा पूजा-अर्चना के स्थान पर अनिवार्य रूप से किया जाता है। सुबह की दिनचर्या प्रारंभ करने से पहले प्रत्येक घर में अगरबत्ती जलाई जाती है, जो स्वतः ही इस उत्पाद की व्यापक खपत को दर्शाता है। अगरबत्तियां विभिन्न सुगंधों जैसे चंदन, केवड़ा, गुलाब आदि में बनाई जाती हैं। अधिकांशतः उपभोक्ताओं को इनकी किसी विशेष सुगंध के प्रति आकर्षण बन जाता है तथा वे प्रायः उसी सुगंध वाली अगरबत्ती को ही खरीदते हैं।

माचिस:-

हम रोज़ाना कई चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वे बनती केसी हैं यह नहीं जानते. ऐसी ही एक चीज़ है माचिस, जिसे हम अपने घरों में रोज़ इस्तेमाल होते देखते हैं. चलिए जानते हैं माचिस के बारे में कुछ और बातें-

माचीज़ का निर्माण इंग्लैंड के जॉन वॉकर ने 1827 में किया था. इसे लकड़ी के टुकड़े पर गोंद, स्टार्च, एंटीमनी सल्फाइड, पोटैशियम क्लोरेट लगाकर बनाया गया था, पर यह सेफ नहीं थी.

कैसे बनती है माचिस पहले माचीज़ की तीलियों को हाथों से बनाना पड़ता था और हाथों से ही उसके सिरे पर मसाले लगाये जाते थे. माचिस के बॉक्स को भी लकड़ी के टुकड़ों के साथ ही बनाया जाता था. लेकिन बाद में इसे बनाने के लिए मशीनों का यूज़ होने लगा . अब लकड़ी की तीली, लकड़ी के बॉक्स, तीलियों पर मसाला लगाना और सुखाना, बॉक्स पर मसाला लगाना और लेबल चिपकाना, बॉक्स में तीलियाँ भरना आदि सारे काम मशीनों से होने लगे हैं.

यह भी जाने : (1) भारत में माचीज़ का निर्माण सन 1895 से शुरू हुआ था. पहली फैक्ट्री अहमेदाबाद में और फिर कलकत्ता में खुली थी. (2) स्वीडन की एक मैच मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने भारत में माचिस बनाने की कंपनी खोली थी. यह कंपनी 'वेस्टर्न इंडिया मैच कंपनी' के नाम से काम कर रही है. (3) भारत में कुछ ही फ़ैक्टरीज़ ऐसी है जिनका सारा काम मशीनों से होता है, जबकि ज्यादातर फ़ैक्टरीज़ में हाथों से ही काम होता है.

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