अगरबत्तियां बनवाने के बजाय बाल मजदूरों को यदि पुस्तके दे दी जाए तो उनके जीवन में क्या बदलाव आएगा खुशबू रचते हैं हाथ कविता के आधार पर बताइए
Answers
अगरबत्ती बनवाने के बजाय बाल मजदूरों को यदि पुस्तके दे दी जाए तो उनके जीवन में क्या बदलाव आएगा ।
उनके उनके जीवन में बहुत बदलाव आ जाएगा , एक एक बाल मजदूरी करने वाले बच्चा अगर अगरबत्ती बनाता है , अपनी स्वेच्छा से या मजबूरी में , लेकिन फिर भी वह बाल मजदूरी ही कहलाएगी । यह उम्र बच्चों की पढ़ने की होती है , जिसमें कि कुछ लालची लोग इन्हें पढ़ाने के बजाय बाल मजदूरी कर आते हैं , यह सरासर गलत है । भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी बच्चे को 14 साल की उम्र तक पढ़ने का अधिकार है । इसके लिए सरकार ने सरकारी विद्यालय भी खोल रखी है । अगर कोई लालची इंसान किसी भी 14 साल से नीचे के बच्चे को मजबूरन काम करवाती है तो उसके खिलाफ प्रशासन केस दर्ज कर उसे सजा भी दे सकती है ।
अगरबत्ती बनाने के बजाय उस बच्चे के हाथ में अगर किताब दे दी जाए तो उसमें पढ़ने की लालसा होगी । वह बच्चा जी जान लगाकर पढे़गा । वह उन्हीं अगरबत्ती बनाने वाले हाथों से किताबों के पन्ने पलटकर पड़ेगा । तो वही हाथ उसी अगरबत्ती की खुशबू की भांति पढ़कर सुगंधित होंगे ।
Explanation:
अगरबत्ती बनाने के बजाय उस बच्चे के हाथ में अगर किताब दे दी जाए तो उसमें पढ़ने की लालसा होगी । वह बच्चा जी जान लगाकर पढे़गा । वह उन्हीं अगरबत्ती बनाने वाले हाथों से किताबों के पन्ने पलटकर पड़ेगा । तो वही हाथ उसी अगरबत्ती की खुशबू की भांति पढ़कर सुगंधित होंगे ।