Science, asked by devekaranpatel123, 4 months ago

agnashay का प्रमुख कार्य kya he​

Answers

Answered by nrjgupta984
1

Answer:

जठराग्नि का स्रोत, भोजन को पकाने-पचाने वाली पाचन ग्रंथि, पेंक्रियाज को ही 'अग्नाशय' कहते हैं। यह छोटी आंत से घिरा रहता है।

अग्न्याशय कशेरुकी जीवों की पाचन व अंतःस्रावी प्रणाली का एक ग्रंथि अंग है। ये इंसुलिन, ग्लुकागोन, व सोमाटोस्टाटिन जैसे कई ज़रूरी हार्मोन बनाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथि है और साथ ही यह अग्न्याशयी रस निकालने वाली एक बहिःस्रावी ग्रंथि भी है, इस रस में पाचक किण्वक होते हैं जो लघ्वांत्र में जाते हैं।

2 पेंक्रियाज दो तरह के रस स्रावित करता है- पाचक रस व पावक रस। पाचक (अग्नि) रस (पेंक्रियाटिक जूस) पेंक्रियाटिक डक्ट में स्रावित होता है और पावक रस सीधा रक्त में। पाचक रस बनाने वाले ग्लैंड्स होते हैं, जिनका मुंह डक्ट में खुलता है, जबकि पावक रस (इंसुलिन आदि) विशिष्ट कोशिकाओं के छोटे-छोटे आईलेट्स से सीधा रक्त में ही अवशोषित होता है।

3 पाचक रस में स्रावित ट्रिप्सिन, काइमोट्रिप्सिन, लाइपेज व अमाइलेज नामक एंजाइम्स, भोजन में प्रोटीन, वसा व शर्करा को पकाने-पचाने का अहम कार्य करते हैं, इसीलिए इसे 'जठराग्नि' भी कहते हैं। 

4 शरीर में तात्कालिक ऊर्जा ग्लूकोज को जलाकर मिलती है। कोशिकाओं को ग्लूकोज उपलब्धि और उपयोग के लिए इंसुलिन की जरूरत होती है, जो पेंक्रियाज के पावक रस से स्रावित होकर रक्त के माध्यम से संपूर्ण शरीर में पहुंचता है। 

5 पावक रस के अन्य एंजाइम्स ग्लूकोगोन, सोमेटोस्टेटिन सहायक एंजाइम्स होते हैं, जो रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करते हैं। इंसुलिन शारीरिक ऊर्जा का स्रोत होती है। इंसुलिन की कमी से ही डायबिटीज होता है।

6  इंसुलिन की अधिकता से (इंसुलिन बनाने वाली आइलेट कोशिकाओं के ट्यूमर के कारण) या अन्य किसी कारण से रक्त में ग्लूकोज की कमी से हाइपोग्लाइसीमिया होता है। हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण गंभीर होते हैं। इसमें रोगी को खूब पसीना आता है, घबराहट होती है, मृत्यु का भय सताने लगता है आदि। यह समस्याएं न हों, इसके लिए आइलेट कोशिकाएं ग्लूकोगोन नामक एंजाइम स्रावित करती हैं, जो ग्लूकोज की कमी होने पर लिवर में संगृहित ग्लाइकोनोजन को ग्लूकोज में बदलकर रक्त में संगृहित कर देता है।

7 मांसाहारियों में पेंक्रियाज का पाचक रस जब सब कुछ पचा जाता हैै? प्रोटीन को गलाने वाले एंजाइम्स ट्रिप्सिन और काइमोट्रिप्सिन पेंक्रियाज में ट्रिप्सिनोजन और काइमोट्रिप्सिनोजन नामक असक्रिय फॉर्म से स्रावित होते हैं। आंत में पित्त के संपर्क में आने के बाद ही वे सक्रिय हो पाते हैं।

Explanation:

hope it helps

Similar questions