Agneepath Kavita ke Madhyam se Kavi kya Sandesh Dena Chahta Hai
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मनुष्य को प्रेरणा देते हैं की अपनी मंजिल को प्राप्त करने के लिए हमें चाहिए की बिना थके, बिना रूके व बिना डरे हमें कर्मठतापूर्वक बढ़ते रहना चाहिए। परेशानी तो हमेशा हमारे चारों तरफ रहेगी परन्तु असली मनुष्य वही कहलाता है जो उन्हें धकेलता हुआ निरन्तर बढ़ता रहता है। हमारा उठा एक-एक कदम हमें अपनी मंजिल की ओर लेकर जाएगा। इस प्रकार का मनुष्य समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है।
अग्निपथ कविता
इस कविता काय माध्यम से कवि हमें यह संदेश देता है कि हमें अपने जीवन में हमेशा कर्म करते रहना चाहिए। हमारे सामने चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ क्यों ना आएं, हमें कभी रुकना नहीं चाहिए। अपने कर्मपथ पर चलते हुए, अगर हमारे मित्र या संबंधी हमें सहायता देने आएं, तो वह हमें कभी भी स्वीकार नहीं करनी चाहिए। अगर एक बार सहायता ले ली, तो हम कमजोर पड़ जायेंगे और अपने कर्मपथ पर नहीं चल पाएंगे।
मनुष्य को अपने कर्म की राह पर चलते हुए कभी नहीं थकना चाहिए। चाहे वह कितना ही परेशान, बेचैन क्यों ना हो जाए, पर उसे अपने कर्म करते रहने चाहिए। कभी अपने कर्मो को करते-करते रुकना नहीं चाहिए। कवि नें कहा है कि मनुष्य को अपने जीवन में ये शपथ लेनी चाहिए कि वह कभी भी अपने कर्म के मार्ग से मुड़ेगा नहीं, चाहे उसके रास्ते कितने ही कठिन क्यों ना हों।
कवि के अनुसार कठिनाइयों का सामना करते हुए बिना रुके सच्चे रास्ते पर चलते-चलते ही मनुष्य अपनी ज़िंदगी की मंज़िल को पा सकता है।