Ah! Kya mela tha vah need an essay
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हमारे शहर में एक मेला लगा था। मैं अपने मित्रों के साथ वहाँ गया। मैंने पहली बार एक मेला देखा और मुझे वह बहुत अच्छा लगा। फाटक पर पहुँचते ही हमारा स्वागत करने के लिए एक बड़ा मिक्की माउस खड़ा था। उसके हाथ में एक बड़ा गेंद था। मेले में जाने के लिए हमलोगों को उस गेंद के अंदर से निकलकर जाना पड़ा।
सबसे पहली स्टाल पर कोल्ड ड्रिंक्स और शरबत मिल रहा था। फिर हमलोगों ने खेल की स्टाल पर कुछ खेल खेले। मुझे दो इनाम मिले। एक आदमी बन्दर का नाच दिखा रहा था। हमलोगों ने उसको एक रुपया दिया और नाच देखा। फिर भालू का नाच भी देखा।
पास में बहुत से बच्चे हाथी पर सैर करने के लिए पंक्ति में खड़े थे। हमलोग भी खड़े हो गए। हाथी पर बैठकर हमलोगों को बड़ा मज़ा आया। उतरने के बाद हमलोगों ने हाथी को कुछ केले खिलाये और उसे प्यार करा। उसके बाद झूला झूलने की बारी थी। हमलोग जायंट व्हील में जाकर बैठे। जब वह ऊपर गया तब हमें इतना डर नहीं लगा पर जब वह नीचे आने लगा हमलोगों ने एक दूसरे को कसके पकड़ लिया। फिर हमलोग अन्य झूलों पर झूले।
भोजन का समय हो गया था और हम लोगों को भूख लग रही थी। इसलिए हमलोगों ने पास की स्टाल से छोला बटूरा, गोल गप्पे और कुल्फी लेकर खायी। मेले के वातावरण में उनका स्वाद कुछ ज्यादा ही अच्छा लग रहा था।
शाम को घर आकार मैंने अपने घर वालों को सब सुनाया और कहा, आहा क्या मेला था वह !Answer:
हमारे देश में मेलों और त्योहारों की कोई कमी नहीं है. हमारे गांव में भी साल में दो बार रामलीला मैदान में मेला लगता है. मुझे और मेरे दोस्तों को मेला देखना बहुत पसंद है इसलिए हम हर बार मेला देखने जाते है. मेले की एक दो दिन पहले से ही हम बहुत खुश हो जाते है. मेले वाले दिन हम नए कपड़े पहन कर सुबह सुबह तैयार हो जाते है.
पिताजी से मेले में खर्च करने के लिए कुछ रुपए मिल जाते है. इसके बाद मैं अपने दोस्तों के साथ मेला देखने निकल पड़ता हूं. मेला रामलीला मैदान में लगता है जो कि हमारे घर से 1 किलोमीटर दूर पड़ता है. हम मेले में पैदल ही जाते हैं और आने जाने वाले हो लोगों और हमारे जैसे बच्चों को देखते है वे वह मेले से खरीदारी करके लौट रहे होते हैं खूब खुश होते हैं और गुब्बारे और सीटियां लेकर आते हैं यह देख हमारा उत्साह और बढ़ जाता है.
मेले में पहुंचते ही सभी जगह शोरगुल होता रहता है और बहुत ही भीड़ भाड़ रहती है. मेले में भीड़ भाड़ होने की वजह से कुछ लोग धक्का-मुक्की भी करते है. हम मेले में पहुंचते हैं पूरे मेले का एक राउंड लगाते हैं और फिर झूला झूलते है कबड्डी का मैच, जादूगर का खेल देखते है. कुछ समय बाद हमें भूख लगती है तो हम समोसे, कचोरी और गोलगप्पे खा कर अपना पेट भरते है.
इसके बाद हम कुछ खिलौने खरीदते है और एक बार फिर से मेले का एक राउंड और लगाते है. हम दिन भर मेले में रहकर उस का आनंद उठाते है. जैसे ही शाम होती है हम सब खुशी-खुशी घर लौट आते है.