अहा ग्राम्य-जीवन भी क्या है,
क्यूँ न इसे सब का मन चाहे।
थोड़े मे निवहि यहाँ है,
ऐसी सुविधा और कहाँ है?
यहाँ शहर की बात नहीं है,
अपनी-अपनी धात नहीं है,
आडम्बर का काम नहीं है।
अनाचार का नाम नहीं है।
प्रश्न:-1) इस कविता में किसका वर्णन है?
2) थोड़े मे निवहि कहाँ होता है?
3) कहाँ के लोग अपने लाभ के लिए एक दूसरे को धोखा देते रहते है
4) 'अनाचार का नाम नहीं है' से क्या तात्पर्य है?
5) सबका मन किसे चाहता है?
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1) इस कविता में किसका वर्णन है?
➲ इस कविता में ग्राम जीवन का वर्णन है।
2) थोड़े मे निवहि कहाँ होता है?
➲ थोड़े में निवहि गाँव में होता है।
3) कहाँ के लोग अपने लाभ के लिए एक दूसरे को धोखा देते रहते है?
➲ शहर के लोग अपने लाभ के लिए एक दूसरे को धोखा देते रहते हैं।
4) 'अनाचार का नाम नहीं है' से क्या तात्पर्य है?
➲ अनाचार का नाम नहीं ऐसे तात्पर्य है कि ग्राम जीवन में गलत बातें नहीं होती और लोग सदाचार से रहते हैं।
5) सबका मन किसे चाहता है?
➲ सबका मन ग्राम जीवन चाहता है।
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