अहंकार का अनुच्छेद लिखिए
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जीवन प्रगति में मनुष्य का अहंकार बहुत बड़ा बाधक है। इसके वशीभूत होकर चलने वाला मनुष्य प्रायः पतन की ओर ही जाता है। श्रेय पथ की यात्रा उसके लिये दुरूह एवं दुर्गम हो जाती है। अहंकार से भेद बुद्धि उत्पन्न होती है जो मनुष्य को मनुष्य से ही दूर नहीं कर देती, अपितु अपने मूलस्रोत परमात्मा से भी भिन्न कर देती है।
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अहंकार अथवा घमंड को हम कोई अन्य नाम देना चाहे तो इसे बीमारी अथवा दीमक की उपमा दे सकते हैं. जिस तरह बीमारी के रोगाणु दिनोंदिन शरीर को क्षीण कर एक दिन समाप्त कर देते हैं. अहंकार भी उसी अनुरूप व्यक्ति को ऐसे नशे में मदहोश कर देता है वह व्यक्ति को न केवल सच्चाई से परे एक कल्पना लोक में ले जाता हैं बल्कि जीवन के लिए असमायोजन करने वाली विकट स्थितियों को भी जन्म दे देता हैं.
जीवन में दुःख का पर्याय अहंकार ही हैं. व्यक्ति अपने अहम भाव के कारण सभी से स्वयं को श्रेष्ठ तथा हर क्षेत्र में ज्ञान, शक्ति से सम्पन्न मानने लगता हैं. वह इस नशे में इस हद तक डूबा रहता है कि दूसरों के ज्ञान, अनुभव, सलाह का उपयोग करने की कभी जरूरत ही नहीं समझता हैं. संसार में अनगिनत जीव है उनमें से सबसे कमजोर जीव में भी एक जबर्दस्त खूबी होती है वो है अनुकरण. जिसके सहारे वह अपनी क्षमता में वृद्धि करता जाता हैं. मगर अहंकारी इंसान कभी किसी के अनुकरण को स्वीकार नहीं करता हैं.
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