'अहंकार मनुष्य का विनाश करता है' इस कथन की स्पष्ट करने के लिए बड़े भाई साहब ने क्या क्या उदाहरण दिया? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए?
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ये प्रश्न ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखित ‘बड़े भाई साहब’ कहानी से लिया गया है।
एक बार जब छोटे भाई (लेखक) खेल कर घर वापस घर लौटा तो बड़े भाई साहब लेखक पर भड़क गये, वह बोले की तुम परीक्षा में इस बार अव्वल क्या आ गए तो स्वयं को बहुत बड़ा बुद्धिमान समझने लगे। तुम्हें अपनी बुद्धिमानी पर अहंकार हो गया यह समझ लो कि अहंकार बड़े बड़ों का नहीं रहा तुम्हारी क्या हस्ती है।
बड़े भाई साहब ने रावण का उदाहरण देते हुये लेखक को कहा तुमने इतिहास में तो पढ़ा ही होगा कि रावण का क्या का हाल था, तुमने शायद उससे कोई सबक नहीं लिया। रावण तो इतना बड़ा पराक्रमी राजा था। लेकिन उसको घमंड हो गया और उसका अहंकार नहीं टिक पाया। अंत में अपने अहंकार के कारण उसका सर्वनाश ही हुआ। अंग्रेजों का भी आजकल बहुत बड़ा राज्य है पर उन्हें भी तुम चक्रवर्ती नहीं कह सकते। शैतान का हाल भी तुमने पढ़ा ही होगा उसे भी गुमान हो गया कि ईश्वर का उससे बड़ा भक्त कोई नहीं है और आखिर में उसे स्वर्ग से नरक में जाना पड़ा। शाहेरूम को भी अहंकार था लेकिन अंत में वो भीख मांग मांग कर मर गया। तुमने तो केवल अब एक कक्षा ही पास की है और तुम्हें इतना अहंकार हो गया है। यह जान लो जब बड़े-बड़ों का इनकार नहीं टिक सका तो तुम्हारा है वो भी नहीं टिकेगा। इसके लिए अहंकार करना छोड़ दो। अभी तुम अपनी मेहनत से पास नहीं हुए हो बस तुम संयोग से पास हो गए हो। संयोग बार-बार नहीं होता।
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Answer: "अहंकार मनुष्य का विनाश कर डालता है |" इसे स्पष्ट करने के लिए बड़े भाईसाहब ने रावण ,शैतान और शाहेरुम का उदाहरण प्रस्तुत किया | वे अपने छोटे भाई से कहते है कि "घमंड तो बड़े -बड़ों का नहीं रहा तो तुम्हारी क्या हस्ती है ? " अहंकार तो रावण का भी नहीं चला जो चक्रवर्ती राजा था |" घमंड( अहंकार) ने रावण का नामो-निशान मिटा दिया | शैतान को भी भक्ति का अभिमान हुआ तो उसे स्वर्ग से नरक में धकेल दिया गया | शाहेरुम ने भी एक-बार अहंकार किया था, भीख माँग - माँग कर मर गया | वे मानते थे इतिहास पढ़ने के बाद भी छोटे भाई ने उससे कोई सीख नहीं ली तो उसका पढना व्यर्थ चला गय
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