Hindi, asked by walmikwarjurkar, 1 day ago

अहंकार से पचाताप पर स्टोरी​

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Answered by s14145caman15558
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Answer:

एक समय की बात है। एक राजा ने अपने राजमहल में बड़ा सुंदर बगीचा लगवाया। वह स्वयं उसकी देखभाल करता था। जो कोई राजा के बगीचे को देखता वह उसकी प्रशंसा किए बिना न रहता। बगीचे में तरह-तरह के फल-फूल और वृक्ष थे। उनकी भीनी-भीनी सुगंध लोगों को प्रभावित करती थी। धीरे-धीरे राजा को अपने गुणों व बगीचे की खूबसूरती का अहंकार हो गया। कुछ ही दिनों में राजा ने देखा कि उसके बगीचे में एक छोटा सा पौधा अपने आप उग आया है।

राजा को हैरानी हुई, किंतु उत्सुकतावश उसने पौधे को उखाड़ा नहीं। वह पौधा बढ़ता रहा और शीघ्र ही एक वृक्ष बन गया। उस वृक्ष पर सुंदर-सुंदर फूल लग गए। जो भी उन्हें देखता, देखता ही रह जाता। परंतु कुछ ही समय बाद उन फूलों से इतनी दुर्गंध आने लगी कि लोगों ने उस बगीचे में आना बंद कर दिया। स्वयं राजा भी दुर्गंध के कारण बगीचे में नहीं जा पाता। उचित देखभाल के अभाव में बगीचे के दूसरे वृक्ष नष्ट होने लगे। बगीचे की दुर्दशा से दुखी राजा ने उस वृक्ष के बारे में सबसे पूछा, परंतु कोई संतोषजनक जवाब न दे पाया।

एक दिन एक साधु से राजा की मुलाकात हुई। उसने साधु से कहा कि कैसे अपने आप उग आए वृक्ष ने पूरे बाग को बर्बाद कर दिया। साधु बोला, ‘राजन, यह अहंकार का विष-वृक्ष है, इसे लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। यह तो अपने आप उग आता है और तेजी से बढ़ता चला जाता है। इसके फल देखने में बड़े लुभावने होते हैं, लेकिन इनमें इतनी दुर्गंध होती है कि दूसरे फूलों व वृक्षों को मिट्टी में मिला देती है। जो अहंकार रूपी विष वृक्ष की चपेट में आ जाता है, एक दिन उसकी दशा ऐसी ही हो जाती है जो आपके बगीचे की हुई है।’ साधु की विवेचना सुनकर राजा को अपने अहंकार पर बहुत पश्चाताप

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