Hindi, asked by shoaibali9476, 6 months ago

अहा! ऋतुराज वसंत आ गई है ।चारो तरफ रंग बिरंगगे, सुगंधित पुष्पपोकका आकर्षक संसार! मेरे बगीचा में भी बहार आ गई है। जुही चमेली के सैकड़ों फूलो से लदी डालिया झुकी जा रहा है । दुधिया चाँदनी मे इनका सौंदर्य चौगुना हो जाता है। ऊंची नीचे टीले पर बहुत सी झाडिया भी अपनने पर इतरा रही है। विशेषण छांटकर भेद बताइऐ​

Answers

Answered by sarikamangesh2810
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ok

Explanation:



गँगा रे अरार कवन बरूआ करे असनान / मगही

मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात देखें

गँगा रे अरार[1] कवन बरूआ[2] करे असनान।

करे असननियाँ रे बरूआ, निरखे[3] आठो अँग[4]॥1॥

बिनु हो जनेउआ हो बाबा, ना सोभे कान।

अप्पन जनेउआ हो बाबा हमरा के दऽ॥2॥

हमरो जनेउआ हो बरूआ, भे गेल[5] पुरान।

तोहरो जनेउआ हो बरूआ, देबो बजना[6] बजाए॥3॥

गँगा के अरार कवन बरूआ करे असनान।

करे असननियाँ रे बरूआ, निरखे आठो अँग॥4॥

बिनु हो जनेउआ हो चाचा, ना सोभे कान।

अप्पन जनेउआ हो चाचा, हमरा के दऽ॥5॥

हमरो जनेउआ हो बरूआ, भे गेल पुरान।

तोहरो जनेउआ हो बरूआ, देबो बजना बजाए॥6॥

शब्दार्थ

ऊपर जायें ↑ तट का ऊँचा भाग, कगार

ऊपर जायें ↑ कुँवारा, उपनयन योग्य बालक

ऊपर जायें ↑ देखता है

ऊपर जायें ↑ आठों अँग = पैर, घुटना, कमर, छाती, ठुड्डी, नाक, मस्तक और हाथ। किन्तु यहाँ आठो अँग में जाँघ, कमर, छाती, बगल, कंधा, कान, माथ और हाथ समझना चाहिए।

ऊपर जायें ↑ हो गया

ऊपर जायें ↑ बाजे, वाद्यवृन्द

श्रेणियाँ:

लोकगीत

मगही रचना

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