Hindi, asked by spappuyadav, 3 months ago

अहिंसा किन किन रूप में होती है

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Answered by Anonymous
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Explanation:

अहिंसा का सामान्य अर्थ है 'हिंसा न करना'। इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है।

Answered by shishir303
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अहिंसा से तात्पर्य उस व्यवहार से है, जिसमें मन, वचन, कर्म से किसी भी प्राणी के प्रति हिंसक व्यवहार नहीं किया जाए और सभी प्राणियों, जीव मात्र के प्रति दया का भाव अपनाया जाए। किसी को शारीरिक रूप से चोट न पहुंचाना, मानसिक रूप से व्यथित न करना अथवा आर्थिक-सामाजिक रूप से प्रताड़ित करना न करना ही अहिंसा है।

अहिंसा के रूप निम्नलिखित है।

  1. भाव अहिंसा और द्रव्य अहिंसा : यदि व्यक्ति मन में संकल्प करें कि वो किसी भी प्राणी प्रति हिंसा नहीं करेगा और वह उसका पालन भी करता है, और उससे जाने-अनजाने में किसी के प्रति कोई हिंसा नही होती तो यह भाव अहिंसा और द्रव्य अहिंसा दोनो हुई।
  2. भाव अहिंसा किंतु द्रव्य अहिंसा नही : यदि कोई व्यक्ति हिंसा न करने का संकल्प तो लेता है, लेकिन अनजाने में उससे बहुत से जीवो के प्रति हिंसा हो जाती है। जैसे चलते समय छोटे जीव-जंतुओं का पैरों द्वारा कुचला जाना तो ये भाव अहिंसा तो है, लेकिन द्रव्य अहिंसा नही है।
  3. भाव अहिंसा नही किंतु द्रव्य अहिंसा : जब कोई व्यक्ति हिंसा के इरादे से तो जाये लेकिन वो हिंसा कर नही पाये तो वह भाव अहिंसा नही हुई किंतु द्रव्य अहिंसा हुई। जैसे कोई मछुआरा मछली पकड़ने जाये लेकिन पूरे दिन जान बिछाकर भी उसके जाल में कोई मछली न फंसे।
  4. न भाव अहिंसा न द्रव्य अहिंसा : प्राणियों के मारकर खाना, दूसरों को जानबूझ कर तकलीफ पहुँचाना न तो भाव अहिंसा है, और न ही द्रव्य अहिंसा है।

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