Hindi, asked by nitudevi964872, 8 hours ago

अहिंसा का दूसरा नाम या दूसरा रूप त्याग है और हिंसा का दूसरा रूप या दूसरा नाम स्वार्थ है।​

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Answered by ParulBhasin
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Answer:

हमारी संस्कृति का मूलाधार इसी अहिंसा-तत्व पर सीपित रहा है। जहाँ-जहाँ हमारे नैतिक सिद्धांतों का वर्णन आया है, अहिंसा को ही उसमें मुख्य स्थान दिया गया है। अहिंसा का दूसरा रूप त्याग है और हिंसा का दूसरा रूप या दूसरा नाम स्वार्थ है, जो प्रायः भोग के रूप में हमारे सामने आता है।

Explanation:

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Answered by sakshi7798954747
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Answer:

arnavbhaskardhumal12345

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