अहिंसा की विजय' अथवा 'हीरा कुणी में से किसी एक कहानी का सारांश लिखिए।
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अंहिसा की विजय' अथवा 'हीरा-कुणी' में से किसी एक कहानी का सारांश लिखिए। 'अहिंसा की विजय' कहानी का सारांश कोसल की राजधानी श्रावस्ती की प्रजा अंगुलिमाल डाकू के अत्याचार से बड़ी त्रस्त थी। भगवान बुद्ध ने वहाँ के राजा प्रसेनजित को धीरज वधाते हुए उसकी चिंता दूर करने के लिए अंगुलिमाल के पास चल दिए।
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Explanation:
कहानी का सारांश 'अहिंसा की विजय' कोशल की राजधानी श्रावस्ती की प्रजा अंगुलिमाल डकैतों के अत्याचारों से अत्यधिक पीड़ित थी।भगवान बुद्ध धैर्यपूर्वक राजा प्रसेनजित की चिंता दूर करने के लिए अंगुलिमाल गए। अंगुलिमाल जंगल में रहता था। वह बहुत ही भयंकर डाकू था। उसने एक हजार आदमियों को मारने का वादा किया था।अंगुलिमाल जंगल में रहता था। वह बहुत ही भयंकर डाकू था। उसने एक हजार आदमियों को मारने का वादा किया था। इसका हिसाब रखने के लिए वह जिसे भी मारता उसकी एक अंगुली काट देता था। उनके गले में उंगलियों की ऐसी माला रखी होगी।
एक आदमी एक आदमी को क्यों मारता है? जीव को देखकर आत्मा प्रसन्न क्यों नहीं होती?'यह सोचकर महात्मा बुद्ध को अचानक यह आवाज सुनाई दी, 'एक लहर लो', महात्मा बुद्ध रुक गए। अंगुलिमाल उसके सामने आकर खड़ा हो गया। बुद्ध ने कहा, 'मैं ठहर गया हूं,तुम कब रुकोगे?' यह सुनकर अंगुलिमाला ने विनम्र स्वर में कहा, 'महात्मा, मैं तुम्हें समझ नहीं पाया।'कहानी का सारांश 'अहिंसा की विजय' कोशल की राजधानी श्रावस्ती की प्रजा अंगुलिमाल डकैतों के अत्याचारों से अत्यधिक पीड़ित थी।भगवान बुद्ध धैर्यपूर्वक राजा प्रसेनजित की चिंता दूर करने के लिए अंगुलिमाल गए। अंगुलिमाल जंगल में रहता था। वह बहुत ही भयंकर डाकू था।
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