Hindi, asked by SamyakRajuKale, 3 months ago

अहिंसा और सत्य की महिमा इस विषय पर अपने विचार लिखिए।​

Answers

Answered by BHUMIKUMARIOO7
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Answer:

सत् के साथ ल्यप् प्रत्यय के योग से सत्य शब्द की निष्पत्ति होती है । सत् का अर्थ है कि वह जो शाश्वत है, जो कभी नष्ट नही होता, जिसमे कभी कोई विकार नही होता, जो शुद्ध है, अस्तु लोक में उक्त विशेषताओ से युक्त मनसा वाचा कर्मणा जो व्यवहार होता है उसे ही सत्य कहते है । अर्थात् परमार्थ के सत् को व्यवहार में सत्य कहते है ।

हिंसा का विपरीतार्थक शब्द अहिंसा है । हिंसा संस्कृत के हिस् धातु से बना है जिसका अर्थ है 'मारना', इस प्रकार अहिंसा से तात्पर्य 'बचाना' हुआ ।वास्तव में किसी को मारने से मारेजाने वाले को जो शारीरिक और मानसिक बेदना होती है, उस पीड़ा का नाम ही हिंसा है इससे बचने और बचाने को अहिंसा कहते है । अर्थात् किसी को भी किसी प्रकार की पीड़ा न पहुचाना ही अहिंसा है । इसप्रकार मनुष्य की वह वृत्ति जो उसे हिंसा से निवृत्त करती है ,अहिंसा कहलाती है

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